बिलासपुर । Bilaspur High Court : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक चर्चित दुष्कर्म मामले में अहम फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने कहा कि यदि कोई महिला बालिग है और उसने लंबे समय तक युवक को पति मानकर सहमति से संबंध बनाए हैं, तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने रायगढ़ की फास्ट ट्रैक अदालत द्वारा दिए गए आरोपी के खिलाफ दोषारोपण आदेश को रद्द कर दिया।
Bilaspur High Court : यह मामला रायगढ़ के चक्रधरनगर थाना क्षेत्र का है, जहां महिला ने 2008 में युवक पर शादी का झांसा देकर यौन शोषण का आरोप लगाया था। दोनों करीब एक दशक तक साथ रहे और इस दौरान महिला के तीन बच्चे भी हुए। महिला ने खुद कई दस्तावेजों—आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट और सखी वन स्टॉप सेंटर की रिपोर्ट में युवक को अपना पति बताया था।
Bilaspur High Court
साल 2019 में युवक के अचानक संपर्क तोड़ने के बाद महिला ने रिपोर्ट दर्ज करवाई और पुलिस ने आरोपी पर धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया। ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय किए, जिसे युवक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की मिसालों का हवाला देते हुए कहा कि यदि सहमति और सामाजिक जीवन में पति-पत्नी जैसा व्यवहार हो, तो शादी का झांसा देकर रेप का आरोप टिकता नहीं है। कोर्ट ने 3 जुलाई 2021 को रायगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द कर आरोपी को राहत दे दी।