Madhav Kumar :काठमांडू : योग गुरु बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि योगपीठ और नेपाल सरकार के बीच हुए जमीन सौदे में भ्रष्टाचार की खबरों ने बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। इस विवाद के चलते नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल को अपनी सांसद सदस्यता तक गंवानी पड़ी है। नेपाल की भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी CIAA ने गुरुवार को माधव नेपाल और कई अन्य पूर्व अधिकारियों के खिलाफ जमीन घोटाले में आरोपपत्र दाखिल किया है। यह मामला पतंजलि द्वारा काठमांडू से लगभग 40 किलोमीटर दूर काभ्रे जिले में खरीदी गई 32 हेक्टेयर जमीन से जुड़ा है, जो योग केंद्र और हर्बल खेती के लिए खरीदी गई थी।
Madhav Kumar :CIAA का आरोप है कि माधव नेपाल की अध्यक्षता में कैबिनेट ने भूमि अधिनियम में छूट देकर पतंजलि को जमीन देने की अनुमति दी थी। दो महीने बाद एक और कैबिनेट निर्णय में जमीन को व्यावसायिक उपयोग के लिए भी खोल दिया गया, जिससे सरकारी नीति का दुरुपयोग हुआ। एजेंसी के मुताबिक, इस निर्णय से नेपाल सरकार को करीब 11.6 करोड़ रुपये (भारतीय मुद्रा में) का नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए माधव नेपाल से राशि वसूलने की सिफारिश की गई है।
Madhav Kumar :इस घोटाले में कुल 94 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें पूर्व कानून मंत्री प्रेम बहादुर सिंह, पूर्व भूमि सुधार मंत्री दंबर श्रेष्ठ, पूर्व मुख्य सचिव माधव प्रसाद घिमिरे और पतंजलि नेपाल के निदेशक सलीग्राम सिंह भी शामिल हैं। हालांकि, पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का नाम आरोपपत्र में शामिल नहीं किया गया है।
Madhav Kumar :नेपाल के कानून के तहत किसी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति पर भ्रष्टाचार का आरोप लगते ही उनका पद स्वतः समाप्त हो जाता है, इसी आधार पर माधव नेपाल की सांसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। उन्होंने सभी आरोपों को राजनीतिक साजिश बताते हुए खारिज किया है। उनका कहना है कि यह प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा उन्हें बदनाम करने की कोशिश है और वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।
Madhav Kumar :पतंजलि योगपीठ की ओर से कहा गया है कि जमीन का इस्तेमाल केवल योग केंद्र और आयुर्वेदिक अनुसंधान के लिए किया गया है, और किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इसका प्रयोग नहीं किया गया।