MP News : गुना (मध्य प्रदेश), 22 जुलाई 2025: मध्य प्रदेश के गुना जिले से एक दिल दहला देने वाली और शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जिसने एक बार फिर सरकार के “विकास” के दावों की पोल खोल दी है। बमोरी विधानसभा क्षेत्र के मोहनपुर खुर्द के डमरा डेरा गांव की एक गर्भवती आदिवासी महिला को सड़क न होने के कारण बैलगाड़ी से एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा। दुर्भाग्य से, तब तक बहुत देर हो चुकी थी—महिला ने गांव में ही बच्चे को जन्म दे दिया।
सड़क नहीं, सिस्टम ठप: बारिश में और बिगड़े हालात
इस गांव तक पहुँचने के लिए कोई सड़क नहीं है। ऐसे में बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं, जिससे ग्रामीणों का जीवन दूभर हो जाता है। गांववालों के अनुसार, यह कोई पहली घटना नहीं है। अक्सर प्रसूताओं को खाट या बैलगाड़ी पर लादकर गांव से बाहर लाया जाता है ताकि वे एंबुलेंस तक पहुँच सकें। सिस्टम की इसी घोर लापरवाही ने एक और महिला को असहनीय पीड़ा झेलने पर मजबूर कर दिया।एंबुलेंस गांव के अंदर नहीं आ सकी, मजबूरन बैलगाड़ी का सहारा
घटना के अनुसार, जब महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो तत्काल एंबुलेंस को बुलाया गया। लेकिन कच्चे और दलदली रास्ते की वजह से एंबुलेंस गांव में दाखिल ही नहीं हो सकी। कोई और विकल्प न देख, परिजनों ने बैलगाड़ी की व्यवस्था की और महिला को उसी पर लादकर गांव के बाहर एंबुलेंस तक लाने का प्रयास किया। लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था—रास्ते में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर कर दिया।
वायरल हुई बैलगाड़ी वाली तस्वीर: विकास के दावों पर सवाल
प्रसूता को बैलगाड़ी पर ले जाते वक्त की तस्वीर और वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। ये तस्वीरें विकास की असल सच्चाई और आदिवासी इलाकों की दयनीय दुर्दशा को स्पष्ट रूप से उजागर कर रही हैं, जिससे सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती, पर सवाल कायम: क्या यही है जननी सुरक्षा
बाद में महिला को उमरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहाँ उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। हालाँकि, सवाल यह है कि क्या यह इलाज पहले नहीं मिलना चाहिए था? क्या आदिवासी महिलाओं को हर बार इस तरह की जिल्लत से गुजरना पड़ेगा? यह घटना जननी सुरक्षा योजना और मातृत्व लाभ जैसी सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

सिंधिया के संसदीय क्षेत्र की हकीकत: वादे बनाम ग्राउंड रियलिटी
यह पूरा इलाका केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आता है। बावजूद इसके, यहाँ सड़क, स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं का घोर अभाव है। जब इस मुद्दे पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, तो ज़्यादातर ने या तो बात टाल दी या बजट की कमी और लालफीताशाही का बहाना बना दिया। गांववालों का कहना है कि हर चुनाव में सड़क और सुविधाओं के वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि बैलगाड़ी आज भी गांव की ‘एम्बुलेंस’ बनी हुई है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार केवल कागजों पर विकास दिखा रही है? क्या जननी सुरक्षा योजना, स्वास्थ्य मिशन और मातृत्व लाभ की बातें सिर्फ विज्ञापनों तक सीमित हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है?