Tild Nevra : अजय नेताम/तिल्दा-नेवरा : बलौदाबाजार जिले के सिमगा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम केसदा जो कि तिल्दा-नेवरा शहर के समीप स्थित है, वहां प्रस्तावित स्पंज आयरन उद्योग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस उद्योग के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु जनसुनवाई 16 जून को निर्धारित की गई है, लेकिन उससे पहले ही गांव में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
Tild Nevra : स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत द्वारा उद्योग को एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) नियमों के विरुद्ध प्रदान किया गया है। सूत्रों के अनुसार, पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 के तहत आवश्यक प्रक्रिया का पालन किए बिना ही यह एनओसी दी गई, जिसकी जानकारी अधिकांश ग्रामीणों को नहीं थी। इसी कारण गांव में नाराजगी और अविश्वास का माहौल बना हुआ है।
Tild Nevra : पहले के वादों से नाराज हैं ग्रामीण
Tild Nevra : जानकारी के अनुसार, इसी कंपनी की तीन इकाइयां पहले से ही क्षेत्र में संचालित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन इकाइयों की स्थापना के समय उद्योग प्रबंधन ने रोजगार, स्वास्थ्य, पर्यावरण और बुनियादी सुविधाओं को लेकर कई वादे किए थे, लेकिन इनमें से अधिकांश पर अब तक अमल नहीं हुआ। इससे ग्रामीणों को अब पछतावा हो रहा है और वे भविष्य में भी वही स्थिति दोहराए जाने की आशंका से चिंतित हैं।
Tild Nevra : पंडाल में हंगामा, जनसुनवाई से पहले ही विरोध तेज
Tild Nevra : ग्रामीणों का आक्रोश इस हद तक बढ़ गया कि पर्यावरणीय जनसुनवाई के लिए लगाए गए पंडाल** को भी प्रभावित किया गया। यह घटना साफ तौर पर दर्शाती है कि गांव के लोग अब शांत नहीं बैठने वाले हैं और पर्यावरण को लेकर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो रहे हैं।
Tild Nevra : बड़ा सवाल – क्या जनहित की अनदेखी हो रही है?
Tild Nevra : ग्रामीणों की मांग है कि जब पहले से संचालित इकाइयों ने अपने वादे पूरे नहीं किए, तो अब नए उद्योग को अनुमति देना **क्षेत्र की दुर्दशा को और बढ़ा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जनसुनवाई केवल औपचारिकता भर रह गई है, और क्या ग्राम पंचायत से मिली एनओसी वाकई वैध है?