नई दिल्ली। भारत की ओर से किए गए जवाबी सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में एक तरफ जहां सामरिक दृढ़ता को लेकर सराहना हो रही है, वहीं दूसरी ओर आम लोगों के बीच मानसिक अस्थिरता और तनाव तेजी से बढ़ता दिख रहा है। सीमाओं पर तल्ख़ हालात के बीच नागरिक जीवन में अनिश्चितता और भय की भावना गहराती जा रही है।
विशेषज्ञ इसे ‘वॉर एंग्जायटी’ यानी युद्ध चिंता कह रहे हैं—एक ऐसी मानसिक स्थिति जो संभावित युद्ध की आशंका और निरंतर नकारात्मक सूचनाओं के कारण उत्पन्न होती है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बीते दो दिनों में इससे जुड़ी हेल्पलाइन कॉल्स और परामर्श की माँग में उल्लेखनीय इज़ाफा हुआ है।
इस तरह की चिंता से पीड़ित लोग अक्सर बार-बार सोशल मीडिया या समाचार अपडेट चेक करते हैं, छोटी-छोटी बातों पर घबराहट महसूस करते हैं, और कई बार उन्हें नींद, भूख और एकाग्रता से जुड़ी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में खुद को मानसिक रूप से स्थिर बनाए रखना बेहद आवश्यक है। सत्यापित स्रोतों से ही जानकारी लेना, सीमित समय तक ही समाचार देखना और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, ध्यान और संवाद जैसे उपाय अपनाना मददगार हो सकते हैं।