भोपाल: मध्यप्रदेश की वरिष्ठ और कद्दावर कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की रहस्यमयी मौत के मामले में 28 साल बाद बड़ा मोड़ आया है। भोपाल जिला न्यायालय ने इस मामले में पुलिस द्वारा 2019 में प्रस्तुत की गई खात्मा रिपोर्ट को खारिज करते हुए दोबारा जांच के आदेश दे दिए हैं। इस फैसले से प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, क्योंकि इस प्रकरण में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह के नाम भी चर्चाओं में रहे हैं।
सरला मिश्रा की मौत फरवरी 1997 में राजधानी भोपाल के टीटी नगर स्थित उनके घर में जलने से हुई थी। तब इसे आत्महत्या बताया गया था, लेकिन मिश्रा परिवार ने तभी से इस पर सवाल उठाए थे। पुलिस द्वारा की गई जांच को लेकर कई बार विसंगतियों और अनियमितताओं की बात सामने आई, जिसके चलते मृतका के परिजनों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अनुराग मिश्रा ने जताई राहत
सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “आज 28 साल बाद हमें न्याय की उम्मीद जगी है। जिस दिन से यह घटना हुई, उसी दिन से हम इस मामले में कई खामियां देख रहे थे। अब जब अदालत ने भी खात्मा रिपोर्ट को खारिज किया है, तो हम मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि इस पूरे प्रकरण में एक विशेष जांच पैनल गठित किया जाए और जांच निष्पक्षता से हो।”
उन्होंने आगे कहा कि तत्कालीन जांच अधिकारियों ने जानबूझकर कई सबूतों को नज़रअंदाज़ किया और मामले को आत्महत्या का रूप दे दिया। अनुराग मिश्रा ने आरोप लगाया कि सरला मिश्रा की उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह से राजनीतिक और व्यक्तिगत विवाद चल रहा था।
राजनीतिक भूचाल की आशंका
इस मामले की फाइल के दोबारा खुलने से प्रदेश की राजनीति में हलचल मचना तय माना जा रहा है। दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आने से कांग्रेस को भी जवाब देना पड़ सकता है। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रुख अपना सकता है।
अब यह देखना होगा कि न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार इस प्रकरण में आगे क्या रुख अपनाती है और जांच कितनी पारदर्शिता से होती है।