नई दिल्ली। New Vice President : देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर हलचल तेज हो गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। इसके साथ ही अब नई नियुक्ति की तैयारी शुरू हो गई है — लेकिन यह केवल संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि राजनीतिक गणित का भी अहम हिस्सा बन चुकी है।
New Vice President : संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत, नए उपराष्ट्रपति का चुनाव छह महीने के भीतर यानी सितंबर 2025 तक किया जाना अनिवार्य है। दिलचस्प यह है कि इसी दौरान बिहार विधानसभा चुनाव भी होने हैं, जिससे इस संवैधानिक नियुक्ति को राजनीतिक रणनीति के चश्मे से भी देखा जा रहा है।
NDA की तैयारी: संख्या में मज़बूत, समीकरण में सतर्क
लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसदों में से जीत के लिए 394 वोटों की जरूरत होगी। बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA इस समय संख्या बल में मजबूत है – लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सदस्यों का समर्थन इसके पास है। लेकिन जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना जैसे सहयोगी दलों का समर्थन बनाए रखना निर्णायक होगा।
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हरिवंश नारायण सिंह का नाम NDA की तरफ से प्रमुखता से सामने आ रहा है। बिहार से ताल्लुक रखने वाले हरिवंश वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं और प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासपात्रों में गिने जाते हैं। उनके अनुभव और संयमित व्यवहार को एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। वहीं, कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर का नाम भी चर्चा में है, लेकिन परिवारवाद की छवि बीजेपी की रणनीति में अड़चन बन सकती है।
क्या भाजपा किसी हैवीवेट नेता को लाएगी?
बीजेपी के भीतर जे.पी. नड्डा, निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी और मनोज सिन्हा जैसे नामों पर चर्चा है। नड्डा का कार्यकाल मार्च 2025 में समाप्त हो रहा है और उन्हें शीर्ष नेतृत्व के करीबी माने जाने के कारण एक संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। लेकिन अभी तक पार्टी ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है।
विपक्ष की चुनौती: संख्या नहीं, संदेश ज़रूरी
INDIA गठबंधन के पास करीब 150 वोट हैं, जो जीत के लिए अपर्याप्त हैं। फिर भी कांग्रेस के भीतर चल रही हलचलों के बीच शशि थरूर का नाम एक ‘सर्वमान्य’ चेहरा बनकर उभरा है। थरूर के ज़रिए विपक्ष बीजेपी को वैचारिक चुनौती देने की कोशिश कर सकता है, लेकिन कांग्रेस में ही उनके नाम को लेकर एकराय नहीं है। ऐसे में विपक्ष का उम्मीदवार केवल प्रतीकात्मक हो सकता है।