Guru Purnima 2025 : नई दिल्ली। आज पूरे देश में गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा, भक्ति और आत्मिक जागरूकता के साथ मनाया जा रहा है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की उस भावना का उत्सव है जिसमें गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान दर्जा प्राप्त है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को नमन करते हैं, उनके उपदेशों को आत्मसात करते हैं और जीवन की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन का संकल्प लेते हैं।
गुरु पूर्णिमा क्यों है इतना खास…
महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में भी जाना जाने वाला यह पर्व व्यास पूर्णिमा कहलाता है। वेदव्यास न केवल महाभारत के रचयिता थे, बल्कि उन्होंने वेदों का वर्गीकरण कर उन्हें चार भागों में बांटा और पूरे वैदिक साहित्य को संरचित किया। बौद्ध धर्म में भी विशेष महत्व: यह दिन गौतम बुद्ध की प्रथम दीक्षा और उपदेश दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। बौद्ध भिक्षु वर्षा के मौसम में गुरु के पास रहकर तपस्या और साधना करते हैं।
गुरु पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरू : 10 जुलाई, रात 1:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 11 जुलाई, रात 2:06 बजे
पूजन मुहूर्त: दोपहर 11:59 बजे से 12:54 बजे तक
स्नान और दान का मुहूर्त: सुबह 4:10 से 4:50 बजे तक
गुरु पूजन की विधि
- प्रात: स्नान कर पवित्र वस्त्र पहनें।
- घर के पूजास्थल या शांत स्थान पर व्यास पीठ की स्थापना करें।
- वेदव्यास जी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
- चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजा करें।
- ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः’ मंत्र का जाप करें।
- गुरु या बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
गुरु केवल शिक्षक नहीं, एक दिव्य सेतु हैं
आज के दौर में हम शिक्षक और गुरु को एक जैसा मान लेते हैं, लेकिन गुरु का अर्थ उससे कहीं गहरा होता है। गुरु वह होता है जो न केवल ज्ञान देता है, बल्कि अज्ञानता के अंधकार से निकालकर आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
सच्चे गुरु के लक्षण :
- जीवन में शांति लाने वाला
- धर्म और सत्य के मार्ग पर ले जाने वाला
- विनम्र, संयमी और ज्ञानवान
- कभी भी मोह में नहीं डालता, केवल मुक्ति की ओर अग्रसर करता है
गुरु पूर्णिमा पर करें ये सरल उपाय
- पीले वस्त्र पहनकर विष्णु जी की पूजा करें, जीवन में स्थिरता आएगी।
- सरस्वती मंत्रों का जाप करें, विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
- किसी योग्य व्यक्ति को ‘गुरु’ मानकर उनके चरणों में कुछ अर्पित करें – यह आध्यात्मिक रूप से बड़ा लाभकारी होता है।
- अपने जीवन के मार्गदर्शकों, जैसे माता-पिता, शिक्षक, या किसी शुभचिंतक को धन्यवाद कहें – यही असली गुरु-दक्षिणा है।
गुरु पूर्णिमा का संदेश
गुरु पूर्णिमा केवल परंपरा नहीं, यह आत्मबोध का दिन है। यह वह क्षण है जब व्यक्ति स्वयं को टटोलता है और अपने भीतर के अंधकार को मिटाने के लिए एक ऊर्जावान शक्ति को आमंत्रित करता है – जिसे हम गुरु कहते हैं।