Lifestyle : दिन की शुरुआत अगर पौष्टिक नाश्ते से की जाए, तो पूरा दिन चुस्ती और ऊर्जा से भरा रह सकता है। आज के दौर में जहां लोग सेहत को लेकर पहले से कहीं ज्यादा सतर्क हो गए हैं, वहीं ब्रेकफास्ट में दलिया और क्विनोआ जैसे हेल्दी विकल्पों को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति भी देखने को मिलती है। दोनों ही खाद्य पदार्थ अपने-अपने गुणों के कारण फायदेमंद माने जाते हैं, लेकिन सवाल यही है कि आपके लिए सही क्या है?
दलिया – पारंपरिक और एनर्जेटिक विकल्प भारतीय घरों में सदियों से दलिया का इस्तेमाल हेल्दी ब्रेकफास्ट के रूप में किया जा रहा है। इसे विशेष रूप से पचने में आसान और हल्का भोजन माना जाता है।
फाइबर से भरपूर:
दलिया में घुलनशील और अघुलनशील फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन को सुधारने में सहायक होती है।
ऊर्जा का स्रोत:
इसमें मौजूद जटिल कार्बोहाइड्रेट शरीर को दिनभर सक्रिय बनाए रखते हैं।
डायबिटीज और किडनी रोगी:
दलिया में ग्लाइसेमिक इंडेक्स अपेक्षाकृत ज्यादा होता है, जिससे शुगर लेवल अचानक बढ़ सकता है।
ग्लूटेन एलर्जी वाले लोग:
दलिया गेहूं से बनता है, इसलिए यह ग्लूटेन-फ्री नहीं है।
क्विनोआ – सुपरफूड के तौर पर उभरता विकल्प पश्चिमी देशों से होते हुए अब क्विनोआ भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है। यह एक बीज है, लेकिन इसका सेवन अनाज की तरह किया जाता है।
हाई-प्रोटीन और सभी 9 अमीनो एसिड्स:
मसल बिल्डिंग, वजन कम करने और हाई प्रोटीन डाइट में क्विनोआ बेहद लाभकारी है।
ग्लूटेन-फ्री:
जो लोग सीलिएक डिजीज या ग्लूटेन सेंसिटिविटी से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह एक सुरक्षित विकल्प है।
डायबिटीज और किडनी के मरीजों के लिए उपयुक्त:
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और सूजन-रोधी गुण इसे मेडिकल कंडीशन वाले लोगों के लिए लाभदायक बनाते हैं।
“यदि किसी व्यक्ति को हल्का, घरेलू और पचने में आसान नाश्ता चाहिए, तो दलिया बेहतर है। लेकिन यदि आपकी प्राथमिकता ज्यादा प्रोटीन, न्यूट्रिशन और विशेष स्वास्थ्य ज़रूरतें हैं, तो क्विनोआ एक समझदारी भरा चुनाव है।”
आपकी ज़रूरत तय करेगी आपका विकल्प
दलिया और क्विनोआ – दोनों ही पोषण से भरपूर हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि आपकी उम्र, जीवनशैली, स्वास्थ्य समस्याएं और फिटनेस लक्ष्य क्या हैं।
डायबिटीज, किडनी रोग, ग्लूटेन एलर्जी जैसी समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति क्विनोआ को तरजीह दें, वहीं साधारण पाचन और ऊर्जा की जरूरत के लिए दलिया अधिक उपयुक्त हो सकता है।