ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे में एक दिल दहला देने वाले मामले में पत्नी की हत्या करने वाले युवक को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। घटना नवंबर 2020 की है, जब आरोपी ने मामूली विवाद के बाद अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी थी।
जानकारी के अनुसार, दोषी आकाश मेघजी (29) ने पेट्रोल के लिए पत्नी लक्ष्मी से पैसे मांगे थे, लेकिन जब उसने पैसे देने से इनकार किया तो गुस्से में आकर उसने पहले प्रेशर कुकर का ढक्कन उसके सिर पर मारा, फिर छोटे चाकू से गला रेत दिया और अंत में थिनर डालकर आग लगा दी। यह दर्दनाक वारदात ठाणे के कलवा इलाके में स्थित उनके घर पर हुई थी।
मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी. जी. मोहिते ने आरोपी को दोषी करार दिया और कहा कि आरोपी की हरकत पूर्व नियोजित नहीं थी, लेकिन अत्यंत क्रूर और जघन्य थी। अदालत ने आरोपी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। आरोपी की गिरफ्तारी घटना के तुरंत बाद हुई थी और वह तभी से न्यायिक हिरासत में है।
अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक रश्मि क्षीरसागर ने बताया कि आकाश और लक्ष्मी की शादी अक्टूबर 2018 में हुई थी। शुरुआती सालों में रिश्ता सामान्य था, लेकिन बाद में आकाश पत्नी को घरेलू विवादों और चरित्र पर शक के कारण प्रताड़ित करने लगा। घटना वाले दिन भी इसी तरह के झगड़े के दौरान यह वारदात हुई।
अभियोजन पक्ष ने अदालत में 13 गवाहों के बयान दर्ज कराए, जिनमें मेडिकल ऑफिसर और पड़ोसी भी शामिल थे। मेडिकल रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि लक्ष्मी की मौत गला रेतने और सिर पर प्रहार से हुई थी, जबकि शरीर पर जलने के गंभीर निशान थे। अदालत ने कहा कि यह मामला किसी भी तरह से दुर्घटना नहीं था, बल्कि स्पष्ट रूप से हत्या का मामला था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि गले पर धारदार हथियार से गहरा घाव था और बाकी चोटें किसी कठोर वस्तु से लगी थीं। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूतों के आधार पर आरोपी की अपराध सिद्ध किया है। हालांकि अदालत ने यह भी माना कि यह मामला ‘रेयर ऑफ द रेयरेस्ट’ श्रेणी में नहीं आता, इसलिए आरोपी को आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा दी जाती है।
इस फैसले के बाद ठाणे कोर्ट परिसर में मौजूद लोगों ने इसे ‘न्याय की जीत’ बताया। यह मामला एक बार फिर इस सवाल को उठाता है कि घरेलू हिंसा और क्रोध के क्षणों में की गई बर्बर घटनाएं किस हद तक बढ़ रही हैं। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि समाज को ऐसे अपराधों के प्रति संवेदनशीलता और संयम के साथ जागरूक करने की आवश्यकता है।








