भानुप्रतापपुर, कांकेर। Bhanupratappur News : छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान अब सरकार के गले की फांस बनती जा रही है। कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखंड अंतर्गत केवटी धान खरीदी केंद्र में रखे गए लगभग 75 हजार क्विंटल धान अब खेतों में रोपाई के काम आ रहा है—लेकिन अनाज के रूप में नहीं, बल्कि अंकुरित थरहा के रूप में!
Bhanupratappur News : धान की दुर्गति की कहानी
सरकार ने किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा, लेकिन खरीदी के चार महीने बीत जाने के बावजूद भी इन धानों का उठाव विपणन गोदामों तक नहीं हो सका। नतीजा—बारिश में पड़ा धान भीग गया, अंकुरित हो गया और अब सड़ने लगा है। हैरानी की बात यह है कि ग्रामीण लोग अब इसी अंकुरित धान को उखाड़कर अपने खेतों में रोपाई के लिए ले जा रहे हैं।
केंद्र प्रभारी की बेबसी और डर
केवटी केंद्र के प्रभारी योगेश सोनवानी का कहना है कि वे बार-बार मिलर्स और विभागीय अधिकारियों से संपर्क कर चुके हैं, लेकिन केवल आश्वासन मिल रहा है। अभी भी लगभग 11 हजार बोरा धान केंद्र में पड़ा हुआ है। बीते वर्षों में केंद्र कर्मचारियों पर गबन के आरोप लगे, जेल भी जाना पड़ा, जिससे अब वे भय में काम कर रहे हैं।
सांसद ने जताई नाराज़गी
भाजपा सांसद भोजराज नाग ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने समय पर कार्रवाई नहीं की तो वे स्वयं मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि धान उठाव की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
प्रशासन की चुप्पी, किसानों की चिंता
यह पहला मौका नहीं है जब खरीदी केंद्रों में रखे धान की दुर्दशा सामने आई हो, लेकिन हर बार जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ फोन कॉल और पत्राचार का बहाना बना देते हैं। सच्चाई यह है कि लाखों का धान खुले में पड़ा-पड़ा खराब हो रहा है और उसका बोझ आखिरकार किसानों और निचले स्तर के कर्मचारियों पर ही आता है।