रायपुर। बोरे-बासी घोटाला : छत्तीसगढ़ में बोरे-बासी के बहाने सरकारी खजाने से करोड़ों की कथित बंदरबांट का मामला विधानसभा में गरमाया हुआ है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा हर साल श्रमिक दिवस पर “बोरे-बासी” खिलाने के नाम पर की गई खर्चीली तैयारियों की अब जांच होगी। श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने सदन में भाजपा विधायकों की मांग पर जांच समिति बनाने की घोषणा कर दी है।
बोरे-बासी घोटाला : जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2020 से लेकर 2024 तक एक ही इवेंट कंपनी को करोड़ों रुपये के काम दिए गए — वो भी बिना किसी सरकारी निविदा प्रक्रिया के। RTI से सामने आई जानकारी बताती है कि राजधानी रायपुर में ही एक साल में 8 करोड़ से अधिक की राशि बोरे-बासी आयोजन पर खर्च कर दी गई। आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सोनी ने इसे सुनियोजित भ्रष्टाचार करार देते हुए कहा कि यह एक सोची-समझी मिलीभगत का परिणाम है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि मजदूरों के नाम पर चलाए गए इस अभियान की आड़ में किन अधिकारियों और नेताओं ने अपना ‘थाल’ भर लिया? विधायकों की जांच समिति इसकी तह तक जाएगी। इस बीच विपक्ष के नेता जांच को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं।