मुंगेली: CG Latest News : मुंगेली कलेक्टर कुंदन कुमार ने सीईओ राजीव तिवारी को हटाकर लक्ष्मीकांत कौशिक को सीईओ की जिम्मेदारी सौंपी है। कलेक्टर ने अपने आदेश में लिखा है कि छत्तीसगढ़ शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर अटल नगर के आदेश क्रमांक एफ 1-34/2024/22-1 नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 24.10.2024 के द्वारा लक्ष्मीकांत कौशिक, को प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मुंगेली, जिला-मुंगेली (छ०ग०) के पद पर पदस्थ किये जाने के उपरांत लक्ष्मीकांत कौशिक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मुंगेली (संलग्न जिला पंचायत मुंगेली) को आगामी आदेश पर्यन्त तक अस्थायी रूप से मुख्य कार्यपालन अधिकारी
CG Latest News : जनपद पंचायत मुंगेली, जिला-मुंगेली का सम्पूर्ण प्रभार सौपा जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा। लक्ष्मीकांत कौशिक होंगे मुंगेली सीईओ, हटाए गए राजीव तिवारी, दिव्यांग संघ ने दिव्यांगता को लेकर उठाए थे सवाल… छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के सहारे की गई धोखाधड़ी का पर्दाफाश अब एक बड़े घोटाले का रूप ले चुका है। जिला प्रशासन की ओर से जारी जांच प्रक्रिया के तहत 27 कर्मचारियों को चिन्हित किया गया है, जिन्होंने सुनने की क्षमता में कमी दर्शाते हुए दिव्यांगता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए थे। इन प्रमाणपत्रों की वैधता अब सवालों के घेरे में आ गई है।
इस पूरे मामले का खुलासा छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की शिकायत के बाद हुआ, जिसके बाद निशानेबाज़ न्यूज़ ने इसे लगातार उजागर किया। खबरों के बाद कलेक्टर ने कड़ा संज्ञान लिया और संबंधित कर्मचारियों की दिव्यांगता की दोबारा जांच कराने का आदेश जारी कर दिया। 18 जुलाई को रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में इन सभी कर्मचारियों का भौतिक परीक्षण होना है।
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सीईओ और अधिकारी जांच से बचने में लगे:
जांच सूची में जनपद पंचायत के सीईओ राजीव तिवारी और ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पूजा पहारे जैसे उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, राजीव तिवारी कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि पूजा पहारे ने मेडिकल लीव लेकर जांच से दूरी बना ली है। यह स्थिति प्रशासनिक और न्यायालयीय आदेश की खुली अवहेलना मानी जा रही है।
दिव्यांग सेवा संघ का सवाल है – “यदि दिव्यांगता असली है तो फिर मेडिकल जांच से क्यों भागा जा रहा है?”
प्रशासन की सख्ती:
कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों से 27 कर्मचारियों की सेवा विवरण और दस्तावेज मांगे हैं। घोटाले में लिप्त पाए जाने पर इनके खिलाफ सेवा समाप्ति और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की संभावना है।
इन विभागों के कर्मचारी शक के घेरे में:
शिक्षा विभाग से 12 कर्मचारी
व्याख्याता: मनीषा कश्यप, टेक सिंह राठौर, रवीन्द्र गुप्ता, पवन सिंह राजपूत, विकास सोनी, अक्षय सिंह राजपूत, गोपाल सिंह राजपूत, योगेन्द्र सिंह राजपूत
शिक्षक: मनीष राजपूत
सहायक शिक्षक: नरहरी सिंह राठौर, राकेश सिंह राजपूत
श्रम विभाग:
सहायक ग्रेड-2: नरेन्द्र सिंह राजपूत
कृषि विभाग:
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी: प्रभा भास्कर, अमित राज राठौर, धर्मराज पोर्ते, नितेश गुप्ता, विजेन्द्र नार्गव, टेकचंद रात्रे, निलेश राठौर, सुरेन्द्र कश्यप, गुलाब सिंह राजपूत, बृजेश राजपूत
प्रयोगशाला सहायक: भीष्मराव भोसले
जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग:
सहायक ग्रेड-2: सत्यप्रकाश राठौर
उद्यान विभाग:
ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी: पूजा पहारे, सतीश नवरंग
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग:
विकास विस्तार अधिकारी: राजीव कुमार तिवारी
दिव्यांगता का आधार:
इन सभी कर्मचारियों ने “सुनने की क्षमता में कमी” (hearing impairment) के आधार पर दिव्यांग प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। वर्तमान में इनकी असल स्थिति की जांच रायपुर मेडिकल बोर्ड कर रहा है।
संघ की मांग:
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने दोषियों की बर्खास्तगी और उनके खिलाफ FIR की मांग की है। संघ का कहना है कि फर्जी दिव्यांग बनकर सरकारी सेवाओं में रहना असली दिव्यांगों के साथ अन्याय है।
यह मामला अब केवल प्रमाणपत्रों की वैधता तक सीमित नहीं रहा। यह एक नैतिक और सामाजिक सवाल भी बन चुका है कि आखिर कैसे कुछ लोग दिव्यांगों के अधिकारों पर कब्जा जमाकर वर्षों तक सरकारी तंत्र को गुमराह करते रहे। प्रशासनिक जांच और जनदबाव के बीच अब यह देखना अहम होगा कि क्या दोषियों को वाकई सजा मिलती है या फिर मामला कोर्ट-कचहरी में अटक कर ठंडे बस्ते में चला जाएगा।