MP Voter List Scam : भोपाल | मध्यप्रदेश की चुनावी व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई मतदाता सूची की समीक्षा में ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने पूरी प्रणाली को हिलाकर रख दिया है। प्रदेश के 1,696 पते ऐसे पाए गए हैं, जहाँ एक ही पते पर 50 या उससे अधिक मतदाता रजिस्टर्ड हैं। यह खुलासा उस समय हुआ, जब राज्य निर्वाचन आयोग ने आगामी उपचुनाव और पंचायत-नगरीय निकाय चुनावों की तैयारियों के तहत मतदाता सूची का अद्यतन (अपडेट) करवाया। मतदाता आंकड़ों के मिलान के लिए एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPSEDC) द्वारा विकसित एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद ली गई थी। मिलान के दौरान यह गंभीर विसंगति सामने आई।
नगरीय क्षेत्रों में सबसे अधिक फर्जी पते
इन 1,696 पतों में से 917 पते नगरीय निकाय क्षेत्रों से संबंधित हैं, जबकि शेष पंचायत क्षेत्रों के हैं। सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा चंबल संभाग में देखा गया है, जहाँ नगरपालिकाओं और पंचायतों में एक ही पते पर दर्जनों वोटर दर्ज मिले।
MP Voter List Scam इन जिलों में सर्वाधिक संदिग्ध पते पाए गए हैं:
नगर निगम क्षेत्र | संदिग्ध पते |
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ग्वालियर | 16,426 |
इंदौर | 15,293 |
भोपाल | 13,122 |
जबलपुर | 9,622 |
उज्जैन | 5,472 |
बुरहानपुर | 3,975 |
सतना | 2,642 |
खंडवा | 2,352 |
MP Voter List Scam वोटर लिस्ट की स्थिति पर एक नजर
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कई पते ऐसे पाए गए हैं जहां 11 से 50 से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं:
मतदाता संख्या | पते की संख्या |
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11–20 वोटर | 7,95,545 |
21–30 वोटर | 67,741 |
31–40 वोटर | 9,533 |
41–50 वोटर | 2,354 |
50 से अधिक | 1,696 |
क्यों होता है ऐसा फर्जीवाड़ा?
विशेषज्ञों के अनुसार, मतदाता सूची में इस प्रकार के फर्जी पंजीकरण का मुख्य उद्देश्य चुनावी धांधली होता है। एक ही पते पर बड़ी संख्या में मतदाताओं का दर्ज होना इस बात का संकेत हो सकता है कि वोटों की हेरफेर कर चुनावी परिणामों को प्रभावित करने की साजिश रची जा रही हो। नगर निगम और पंचायत चुनाव जैसे स्थानीय चुनावों में एक-एक वोट का महत्व काफी अधिक होता है, ऐसे में फर्जी वोटर बड़ी संख्या में जुड़ने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर खतरा मंडराने लगता है।
इंदौर में पहले भी फर्जी वोटर रैकेट का खुलासा
गौरतलब है कि हाल ही में इंदौर के आस्था फाउंडेशन में फर्जी वोटर आईडी बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ था। पुलिस ने इस मामले में 21 लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी, जो मात्र 250 रुपये में वोटर कार्ड बनवा कर लोगों को उपलब्ध करा रहे थे। इनके जरिए चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी।
आयोग का सख्त रुख: घर-घर जाकर होगा सत्यापन
राज्य निर्वाचन आयोग ने इन गड़बड़ियों को गंभीरता से लेते हुए हर संदेहास्पद पते पर फील्ड वेरिफिकेशन कराने के निर्देश जारी किए हैं। आयोग के सचिव अभिषेक सिंह ने बताया कि:
“जिन पतों पर जरूरत से ज्यादा मतदाता दर्ज हैं, उनका भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। अगर किसी मतदाता का नाम फर्जी पाया गया, तो उसे सूची से तुरंत हटा दिया जाएगा। यह कार्यवाही चरणबद्ध तरीके से निरंतर जारी रहेगी।”
पारदर्शी प्रक्रिया के लिए तकनीक का सहारा
इस फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए आयोग ने तकनीकी मदद को भी बढ़ाया है। MPSEDC द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर के जरिए मतदाता डेटा का गहन विश्लेषण किया जा रहा है, ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं से बचा जा सके।