New Delhi : नई दिल्ली: भारत के साथ हालिया सैन्य टकराव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाबी हमलों से बुरी तरह हिल चुका पाकिस्तान अब अमेरिका की चौखट पर पहुंच गया है। चीनी हथियारों की नाकामी और सुरक्षा उपकरणों की विफलता से परेशान पाकिस्तान अब अमेरिकी रक्षा तकनीक की ओर रुख कर रहा है। इसी कड़ी में पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू अमेरिका के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने सैन्य सहयोग को बढ़ाने के लिए अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की।
New Delhi : 10 साल बाद किसी PAF चीफ का अमेरिकी दौरा
New Delhi : पिछले एक दशक में पहली बार किसी पाकिस्तानी एयरफोर्स प्रमुख ने अमेरिका का दौरा किया है। इससे पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर भी वॉशिंगटन जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर चुके हैं। यह दौरे बताते हैं कि पाकिस्तान अमेरिका से फिर से अपने रिश्ते मजबूत करने की कवायद में जुट गया है।
New Delhi : अमेरिका से एफ-16 और HIMARS की मांग
New Delhi : जहीर सिद्धू की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी वायुसेना और रक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से मुलाकात कर रक्षा सहयोग को बढ़ाना है। पाकिस्तान अब F-16 ब्लॉक 70 फाइटर जेट, AIM-7 स्पैरो मिसाइल और HIMARS (हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम) जैसी एडवांस मिलिट्री टेक्नोलॉजी हासिल करना चाहता है। इसका कारण हाल ही में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में चीन निर्मित HQ-9P और HQ-16 डिफेंस सिस्टम की असफलता है, जो भारतीय मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोक नहीं पाए।
New Delhi : चीन पर से उठता भरोसा
New Delhi : भले ही पाकिस्तान चीन को अपना रणनीतिक साझेदार बताता रहा हो, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। चीन के हथियारों पर लगातार असफलता के बाद अब पाकिस्तान अमेरिका की ओर झुकाव दिखा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अब रक्षा क्षेत्र में संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है।
New Delhi : मुनीर के दौरे पर उठा था राजनीतिक तूफान
New Delhi : पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के अमेरिका दौरे पर देश के अंदर काफी विवाद खड़ा हुआ था। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भेजे गए पाकिस्तानी प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर दी थी।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी ने तंज कसते हुए कहा कि मुनीर ने अमेरिका जाकर ट्रंप से भारत के खिलाफ मदद की गुहार लगाई होगी।
New Delhi : पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति साफ तौर पर उसकी असुरक्षा और रणनीतिक अस्थिरता को दर्शाती है। भारत से मिल रही चुनौती, चीनी हथियारों की विफलता और वैश्विक कूटनीतिक अलगाव ने उसे मजबूर कर दिया है कि वह अमेरिका जैसे पुराने साझेदार की चौखट पर लौटे। लेकिन सवाल यह है कि क्या अमेरिका दोबारा पाकिस्तान पर भरोसा करेगा?