रायपुर। Rawatpura College Bribery Scam : छत्तीसगढ़ के श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को लेकर उठे भारी भ्रष्टाचार के मामले में CBI की प्रारंभिक जांच ने देशभर के मेडिकल शिक्षा तंत्र की सच्चाई उजागर कर दी है। 1300 करोड़ रुपये से अधिक के इस कथित रिश्वत घोटाले में न केवल निजी कॉलेजों की भूमिका है, बल्कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC), केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, और कई प्रभावशाली पदों पर बैठे अफसरों की मिलीभगत भी सामने आई है।
Rawatpura College Bribery Scam : CBI की जांच रिपोर्ट के अनुसार, रावतपुरा सरकार संस्थान के प्रमुख रविशंकर महाराज सीधे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के चेयरमैन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शिक्षा सलाहकार रहे डीपी सिंह से मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए रिश्वत सौदेबाजी कर रहे थे। यह सौदा रायपुर के एक होटल में अंजाम दिया गया, जहां संस्थान के डायरेक्टर अतुल तिवारी ने NMC निरीक्षण दल की प्रमुख डॉ. मंजप्पा सीएन को 55 लाख रुपये की पेशकश की। रकम हवाला के ज़रिए बेंगलुरू में डॉ. चैत्रा एमएस के पति रविचंद्रन तक पहुंचाई गई।
Rawatpura College Bribery Scam
CBI की रेड में अब तक अतुल तिवारी, डॉ. मंजप्पा, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके, डॉ. सतीश, और रविचंद्रन को हिरासत में लिया गया है, जबकि रविशंकर महाराज, रेरा के अध्यक्ष रहे संजय शुक्ला, लेखापाल लक्ष्मीनारायण तिवारी, और डॉ. अतिन कुंडू जैसे बड़े नाम अब भी फरार हैं।
CBI सूत्रों के मुताबिक, देश के 8 राज्यों के निजी मेडिकल कॉलेजों ने इस नेटवर्क के जरिए मान्यता खरीदने के लिए मोटी रकम चुकाई, जबकि अधिकतर कॉलेज मानकों पर खरे नहीं उतरते थे। इस सुनियोजित घोटाले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और NMC के कम से कम 11 अधिकारी भी नामजद हैं। जांच एजेंसी जल्द 35 आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए रणनीति बना रही है।
इस भ्रष्टाचार की भयावहता को देखते हुए यह सिर्फ एक कॉलेज या राज्य का मामला नहीं रहा — यह पूरे देश के मेडिकल शिक्षा तंत्र की साख पर सवाल है। यह स्पष्ट करता है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी धनबल और रसूख के दम पर कानून व नैतिकता को धता बताया जा रहा है।