इंदौर | देश की रक्षा में अपनी जान हथेली पर रखकर डटने वाले जवानों को उनके ही देश में ऐसी धोखाधड़ी का सामना करना पड़ेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। इंदौर में एक दशक पहले सैनिकों के लिए विशेष तौर पर बनाई गई ‘गैलेंट्री लैंडमार्क’ नामक कॉलोनी अब धोखे और भ्रष्टाचार की प्रतीक बन गई है।
क्या है मामला?
साल 2012 में ‘गैलेंट्री लैंडमार्क’ कॉलोनी का शिलान्यास बड़ी उम्मीदों और वादों के साथ हुआ था। इसे सैनिकों के सम्मान में एक मॉडल हाउसिंग प्रोजेक्ट बताया गया। वादा किया गया कि यहाँ चौड़ी सड़कें, हरियाली, पानी की आपूर्ति और तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था होगी। सैकड़ों फौजी परिवारों ने विश्वास के साथ प्लॉट खरीदे, अपने जीवनभर की कमाई लगा दी।
लेकिन 10 साल बाद भी नज़ारा दिल दहला देने वाला है — कॉलोनी आज भी अधूरी है। न सड़कें बनीं, न पानी की व्यवस्था है, और न कोई सुरक्षा। कॉलोनी के डेवलपर्स फरार हैं और प्रशासन की चुप्पी ने सैनिकों को एक बार फिर मोर्चे पर खड़ा कर दिया है, लेकिन इस बार दुश्मन कोई विदेशी ताकत नहीं, बल्कि देश के भीतर का सिस्टम है।
कलेक्टर से लेकर सीएम तक लगा रहे गुहार
इन सैनिक परिवारों ने अब अपनी लड़ाई शुरू कर दी है। न्याय की उम्मीद में कलेक्टर कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री तक की चौखट पर दस्तक दी जा रही है। वे पूछ रहे हैं — क्या देश के लिए जान कुर्बान करने वालों को इस तरह के छल और अपमान का हकदार बनाया गया है?
यह मामला सिर्फ एक कॉलोनी का नहीं, बल्कि उन मूल्यों और वादों का है, जिन पर यह देश खड़ा है। क्या देश अपने रक्षकों के साथ खड़ा होगा या एक बार फिर भरोसे की नींव दरक जाएगी?