Guru Purnima : सीहोर, मध्य प्रदेश। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर कुबेरेश्वरधाम एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन गया। अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में आयोजित इस छह दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अंतिम दिन देशभर से आए तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लेकर सामूहिक दीक्षा, भगवान शिव की पूजा-अर्चना, और भंडारे में प्रसादी ग्रहण की।

पंडित मिश्रा ने अपने प्रवचन में जीवन के तीन चरणों – बचपन, जवानी और बुढ़ापा – का भावात्मक चित्रण करते हुए कहा:
“बचपन खेल में खोया, जवानी नींद भर सोया, बुढ़ापा देख कर रोया… वही किस्सा हर जन्म में दोहराया जाता है।”
उन्होंने श्रोताओं को चेताया कि अगर मोक्ष पाना है, तो अभी जागना होगा, वेदों का अध्ययन करना होगा, और सद्गुरु की शरण में जाना होगा। माता, पिता, शिक्षक और सद्गुरु को जीवन के चार गुरु बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शिव स्वयं आदि गुरु हैं और उन्हीं की शरण में जाना सबसे उत्तम मार्ग है।
गुरु और शिष्य की अनोखी मिसाल: श्रीकृष्ण और दुर्वासा की कथा
पंडित मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण और ऋषि दुर्वासा के प्रसंग को सुनाकर गुरु भक्ति की मिसाल दी। उन्होंने बताया कि कैसे श्रीकृष्ण ने अपने गुरु की इच्छा पूरी करने के लिए स्वयं और रुक्मिणी के साथ रथ खींचा, और गुरु के आदेश के आगे मृत्यु का भय भी त्याग दिया। यह कथा श्रद्धालुओं के दिल को छू गई और पूरे पंडाल में “जय श्रीकृष्ण” के जयकारे गूंज उठे।

संकट में गुरु नहीं, गुरु मंत्र काम आता है
एक अत्यंत प्रेरणादायक उदाहरण में पं. मिश्रा ने गीता बाई पाराशर का उल्लेख किया, जिन्होंने कठिन आर्थिक हालात में भी श्रीमद्भागवत कथा का संकल्प लिया और गुरु दीक्षा के बाद धर्म के मार्ग पर चल पड़ीं। उन्होंने बताया कि कैसे गुरु द्वारा दिया गया मंत्र और आशीर्वाद ही जीवन बदलने वाला बन जाता है।
सवेरे से लगी कतारें, देर रात तक भक्ति का माहौल
गुरुवार तड़के ही कुबेरेश्वरधाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। सुबह 7 बजे से लेकर देर शाम तक सामूहिक दीक्षा, प्रवचन और पूजा-अर्चना का आयोजन चला। करीब 12 घंटे तक चले आयोजन में भक्तों ने शिवभक्ति में डूबकर अपने जीवन को नई दिशा देने का संकल्प लिया।

देशभर से उमड़ी भक्ति की बाढ़
यह आयोजन न केवल एक धार्मिक कार्यक्रम था, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी बना। देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि वे सिर्फ कथा सुनने नहीं, बल्कि जीवन बदलने की प्रेरणा लेने आए हैं। कथा के अंत में भव्य भंडारे में लाखों भक्तों को प्रसादी दी गई।
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