Sunday, June 8, 2025
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छत्तीसगढ़ में क्रॉफ्ट बीयर बनाने को मिली हरी झंडी….

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में पहली बार क्रॉफ्ट बीयर निर्माण की अनुमति दे दी है। इसके लिए “छत्तीसगढ़ सूक्ष्म यवासवनी नियम (माइक्रोब्रेवरी) 2025” को लागू किया गया है। नई नीति के तहत अब कोई भी इच्छुक व्यक्ति 25 लाख रुपये की लाइसेंस फीस जमा कर माइक्रोब्रेवरी यूनिट स्थापित कर सकेगा।

रेस्टोरेंट में बनेगी और वहीं परोसी जाएगी बीयर

इस नीति की खास बात यह है कि क्रॉफ्ट बीयर का उत्पादन और परोसने की अनुमति केवल उसी स्थान पर होगी, जहां यह यूनिट स्थापित है। इसका बॉटलिंग, कैनिंग या किसी भी प्रकार की पैकेजिंग कर बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा। बीयर सिर्फ गिलास में रेस्टोरेंट में ही परोसी जा सकेगी।

नीति की प्रमुख शर्तें

  • ब्रेवरी और रेस्टोरेंट मिलाकर कम से कम 6000 वर्गफीट क्षेत्र होना अनिवार्य

  • दैनिक उत्पादन सीमा 1000 लीटर, सालाना अधिकतम 3.65 लाख बल्क लीटर

  • हर महीने उत्पादन के अनुमानित आधार पर टैक्स और शुल्क एडवांस में जमा करना अनिवार्य

  • प्रतिदिन का लेखा-जोखा रखना जरूरी

क्या है क्रॉफ्ट बीयर?

क्रॉफ्ट बीयर को स्वाद, शुद्धता और सीमित उत्पादन के कारण खास माना जाता है। इसमें अधिकतम 8% अल्कोहल होता है और इसे बिना कृत्रिम स्वाद या अतिरिक्त चीनी के तैयार किया जाता है। यह पास्चुरीकृत या नॉन-पास्चुरीकृत दोनों रूपों में उपलब्ध हो सकती है।

राज्य को मिलेगा राजस्व, उद्योग को बढ़ावा

आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे राज्य में स्थानीय बीयर उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और आबकारी राजस्व में इजाफा होगा। राजधानी रायपुर और अन्य शहरों में भी फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री को इसका बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है।

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रेस्टोरेंट में बनेगी और वहीं परोसी जाएगी बीयर

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नीति की प्रमुख शर्तें

  • ब्रेवरी और रेस्टोरेंट मिलाकर कम से कम 6000 वर्गफीट क्षेत्र होना अनिवार्य

  • दैनिक उत्पादन सीमा 1000 लीटर, सालाना अधिकतम 3.65 लाख बल्क लीटर

  • हर महीने उत्पादन के अनुमानित आधार पर टैक्स और शुल्क एडवांस में जमा करना अनिवार्य

  • प्रतिदिन का लेखा-जोखा रखना जरूरी

क्या है क्रॉफ्ट बीयर?

क्रॉफ्ट बीयर को स्वाद, शुद्धता और सीमित उत्पादन के कारण खास माना जाता है। इसमें अधिकतम 8% अल्कोहल होता है और इसे बिना कृत्रिम स्वाद या अतिरिक्त चीनी के तैयार किया जाता है। यह पास्चुरीकृत या नॉन-पास्चुरीकृत दोनों रूपों में उपलब्ध हो सकती है।

राज्य को मिलेगा राजस्व, उद्योग को बढ़ावा

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