EU sanctions against Russia:रूस-यूक्रेन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा और पुतिन हर मोर्चे पर मजबूती से डटे हुए हैं। यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील भी उन पर असर नहीं डाल पाई। ऐसे में अब रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की नई कोशिशें शुरू हुई हैं। यूक्रेन का साथ दे रहे यूरोपीय यूनियन (EU) ने रूस पर 18वां प्रतिबंध पैकेज लागू किया है। इसका मकसद है रूस की कमाई पर चोट करना, ताकि पुतिन पर युद्ध खत्म करने का दबाव बनाया जा सके।
EU sanctions against Russia:यूरोपीय यूनियन का वार – रूस के तेल पर ‘कैप’
EU sanctions against Russia:शुक्रवार को जारी किए गए नए प्रतिबंधों में EU ने रूसी कच्चे तेल पर ‘मूविंग प्राइस कैप’ लागू किया है, जो बाजार भाव से 15% कम होगा। इसका सीधा मतलब है – रूस की सबसे बड़ी आमदनी पर ब्रेक लगाना। इसके अलावा प्रतिबंधों का दायरा रूस की ऊर्जा कंपनियों, पुराने तेल टैंकरों और सैन्य खुफिया सेवा के अधिकारियों तक फैलाया गया है। इस लिस्ट में भारत की वडिनार रिफाइनरी भी शामिल है, जो रूसी कंपनी रोसनेफ्ट के स्वामित्व में है।
EU sanctions against Russia:जब रूस पर टूटा दबाव, तब भारत ने थामा हाथ
EU sanctions against Russia:यूरोपीय यूनियन के इन प्रतिबंधों पर भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने EU के कदम को ‘दोहरा मापदंड’ करार दिया। उन्होंने साफ कहा, “भारत एकतरफा प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता। ऊर्जा व्यापार में निष्पक्षता होनी चाहिए। हमारी प्राथमिकता है – 140 करोड़ भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा।”
EU sanctions against Russia:यानी भारत ने न सिर्फ रूस का साथ दिया, बल्कि पश्चिमी देशों को भी आईना दिखा दिया – कि जब खुद EU देश रूस से LNG (गैस) खरीद रहे हैं, तब भारत को नैतिकता का पाठ पढ़ाना दिखावा है।
EU sanctions against Russia:भारत की ‘तेल नीति’ – दबाव नहीं, सिर्फ राष्ट्रीय हित
EU sanctions against Russia:भारत ने रूस से तेल खरीद को लेकर अपने रुख को साफ किया है – “हम वहीं से तेल लेंगे जहां से देश को फायदा होगा।” भारत युद्ध से पहले रूस से शायद ही तेल मंगवाता था, लेकिन 2022 के बाद हालात बदल गए। अब भारत रूस से रोज़ाना 1 मिलियन बैरल से ज़्यादा तेल खरीद रहा है, वो भी रियायती दर पर। इससे भारत को सस्ती ऊर्जा मिलती है और जनता को राहत।
EU sanctions against Russia:पश्चिमी देश बार-बार भारत पर दबाव बनाते रहे हैं कि वह रूस से तेल न खरीदे, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा नीति को विदेशी दबावों से तय नहीं होने देगा।
EU sanctions against Russia:पश्चिमी देशों को क्यों चुभ रही है भारत-रूस की नजदीकी?
EU sanctions against Russia:EU और अमेरिका का आरोप है कि भारत द्वारा खरीदे गए तेल की कमाई रूस को युद्ध जारी रखने में मदद दे रही है। लेकिन भारत ने पलटवार करते हुए कहा कि यूरोप के कई देश – जैसे स्पेन और बेल्जियम – अब भी बड़े पैमाने पर रूसी एलएनजी खरीद रहे हैं। फिर भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
EU sanctions against Russia : रूस पर बढ़ते वैश्विक दबाव के बीच भारत उसके लिए संकटमोचक बनकर उभरा है। पश्चिमी देशों की दोगली नीति पर सवाल खड़े करते हुए भारत ने न सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम उठाया है, बल्कि यह भी जता दिया कि वैश्विक राजनीति में अब उसका रुख साफ, ठोस और निर्भीक है। रूस का जिगरी दोस्त भारत अब सिर्फ दोस्ती निभा नहीं रहा, बल्कि दुनिया को कूटनीतिक जवाब भी दे रहा है।