Delhi Riots Case : नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़ी एक बड़ी साजिश के मामले में आरोपित तस्लीम अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से एक अहम सवाल किया है। कोर्ट ने पूछा — “दंगों को पांच साल हो गए, ऐसे में किसी आरोपी को आप कितने समय तक जेल में रख सकते हैं?”
यह सवाल उस समय उठा जब तस्लीम अहमद की ओर से उनके वकील ने अदालत के समक्ष यह दलील रखी कि मामला अनावश्यक रूप से लटकाया जा रहा है और जांच एजेंसियां मुकदमे को जल्दी निपटाने में गंभीर नहीं हैं।
क्या है मामला
तस्लीम अहमद को 24 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था। उस पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के पीछे बड़ी साजिश में शामिल होने का आरोप है। यह वही दंगे थे, जिनमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। इन दंगों की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और बाद में क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी।
जमानत की मांग क्यों की गई?
- तस्लीम की ओर से पेश वकील ने कहा कि:
- आरोपी को बिना ट्रायल के जेल में 5 साल से अधिक समय हो चुका है।
- इसी मामले में अन्य आरोपियों को पहले ही 2021 में मुकदमे में देरी के आधार पर ज़मानत मिल चुकी है।
- चार्जशीट फाइल हो चुकी है और कोई ठोस सुनवाई अब तक नहीं हुई है।
- आरोपी के खिलाफ ट्रायल का अब तक कोई निश्चित टाइमफ्रेम भी तय नहीं किया गया है।
हाई कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस के नेतृत्व वाली बेंच ने दिल्ली पुलिस से दो टूक पूछा —
“जब किसी आरोपी को सालों तक ट्रायल के बिना जेल में रखा जाए, तो क्या वह ‘न्याय’ कहलाता है?”
अदालत ने स्पष्ट किया कि वो इस बात पर गौर करेगी कि क्या आरोपी को आगे और जेल में रखना अनुचित हिरासत की श्रेणी में आता है।
दिल्ली पुलिस का पक्ष
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सरकारी वकील ने कहा कि:
- तस्लीम अहमद पर गंभीर धाराएं लगी हैं, जिनमें यूएपीए (UAPA) भी शामिल है।
- यह मामला एक बड़ी और सुनियोजित साजिश से जुड़ा है, जिसमें राजनीतिक और साम्प्रदायिक हिंसा को भड़काने का आरोप है।
- ट्रायल की देरी सिस्टम का हिस्सा है, लेकिन इससे आरोपी की संलिप्तता कम नहीं होती।
अब आगे क्या?
कोर्ट ने कहा कि वह आरोपी की लंबी हिरासत और ट्रायल में देरी को गंभीरता से ले रही है। मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी, जिसमें पुलिस को अपने तर्कों के साथ स्पष्ट जवाब दाखिल करना है।
क्यों अहम है ये मामला?
- यह मामला दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश केस से जुड़ा है, जिसमें सफूरा जरगर, उमर खालिद, शरजील इमाम जैसे नाम भी शामिल हैं।
- अब तक कई आरोपियों को लंबी हिरासत के बाद ज़मानत मिल चुकी है।
- कोर्ट इस केस के जरिए यह तय कर सकता है कि “न्याय में देरी, क्या वास्तव में अन्याय है?”