Chandra Barot : मुंबई | हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक डॉन (1978) के निर्देशक चंद्रा बरोट का निधन हो गया है। 86 वर्षीय फिल्मकार ने मुंबई में अंतिम सांस ली। वे उन गिने-चुने निर्देशकों में रहे, जिन्होंने केवल एक फिल्म बनाई — लेकिन वो फिल्म इतनी बड़ी थी कि भारतीय सिने इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
1978 की डॉन: जो पहले फ्लॉप थी, फिर बन गई कल्ट
अमिताभ बच्चन के डबल रोल वाली फिल्म डॉन जब रिलीज हुई, तो उसे दर्शकों ने पहले नकार दिया। लेकिन वर्ड ऑफ माउथ के जरिए फिल्म ने धीमे-धीमे रफ्तार पकड़ी और फिर बॉक्स ऑफिस पर छा गई। आज ये फिल्म बॉलीवुड की सबसे बड़ी कल्ट क्लासिक्स में गिनी जाती है।

बरोट बोले थे — “मुझे सिर्फ डॉन के लिए ही याद रखा जाएगा”
रेडिफ को 2006 में दिए एक इंटरव्यू में चंद्रा बरोट ने कहा था,
“मैंने सिर्फ एक फिल्म बनाई, लेकिन वही काफी है।”
उन्होंने बताया कि डॉन के बाद उन्हें 50 से ज्यादा फिल्म ऑफर हुईं, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हो पाईं। दिलीप कुमार के साथ “मास्टर” और सारिका के साथ “तितली” नाम की फिल्में अधूरी रह गईं।
मनोज कुमार से सीखा निर्देशन
बरोट ने अपने करियर की शुरुआत मनोज कुमार के सहायक के तौर पर की थी। वे नौ साल तक मात्र 457 रुपये की सैलरी पर उनके साथ काम करते रहे। उन्होंने बताया कि वही दौर उनके असली प्रशिक्षण का समय था।
बंगाली फिल्म भी बनाई, पर हिंदी सिनेमा से दूरी
1989 में चंद्रा बरोट ने एक बंगाली फिल्म “आश्रिता” बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। लेकिन इसके बाद वे फिल्मों से दूर हो गए। उनका कहना था, “के. आसिफ को हम मुग़ल-ए-आज़म के लिए याद करते हैं। रमेश सिप्पी को शोले के लिए। मुझे डॉन के लिए याद किया जाएगा। बस यही काफी है।”
फरहान अख्तर और SRK ने दोबारा जिंदा किया “डॉन”
2006 में फरहान अख्तर ने डॉन का रीमेक बनाया जिसमें शाहरुख खान लीड रोल में थे। फिल्म हिट रही और 2011 में इसका सीक्वल डॉन 2 भी आया। अब डॉन 3 पर काम चल रहा है। चंद्रा बरोट अब नहीं हैं, लेकिन ‘डॉन’ जैसा किरदार और उसका जादू आज भी लोगों के ज़हन में जिंदा है।