रायपुर। CG Assembly Monsoon Session : छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन साइबर क्राइम के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। भाजपा के वरिष्ठ विधायक सुनील सोनी, राजेश मूणत और अजय चंद्राकर ने सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश में साइबर अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन न तो विशेषज्ञ तैनात हैं और न ही प्रभावी नियंत्रण तंत्र नजर आता है।
CG Assembly Monsoon Session : सुनील सोनी ने कहा 16 हजार से अधिक साइबर अपराधों के मामले दर्ज हैं, लेकिन जनता को न तो साइबर थाना का पता है और न ही समाधान मिल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आईपीएस अफसरों की नियुक्ति केवल सांख्यिकीय जवाब देने के लिए तो नहीं की गई है? साथ ही जनवरी 2024 से जून 2025 तक कितने आरोपियों को जेल भेजा गया—इसका भी जवाब मांगा।
गृहमंत्री और डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि रायपुर में कम्पोजिट साइबर भवन मौजूद है और जरूरत पड़ी तो विधायकों को वहां घुमाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1301 प्रकरण साइबर अपराध से जुड़े दर्ज किए गए हैं और 7 आरोपियों को जेल भेजा गया है। उन्होंने साफ किया कि AI या NCRB के डेटा पर पूरी तरह भरोसा न किया जाए, क्योंकि 2022 के बाद अपडेटेड आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए हैं।
राजेश मूणत ने कहा कि जब अधिकारी लगातार साइबर ट्रेनिंग ले रहे हैं, तो फिर 107 करोड़ की ठगी कैसे हो गई? उन्होंने IG स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की मांग की। इस पर गृहमंत्री ने बताया कि ऐसी नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है और राशि की वापसी कोर्ट प्रक्रिया से जुड़ी होती है।
विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि साइबर क्राइम रोकने के लिए कितने कमांडो तैयार किए गए हैं और विशेषज्ञों की भर्ती कब होगी? इस पर विजय शर्मा ने जवाब दिया कि भर्ती की प्रक्रिया जारी है और कई अधिकारी 6 महीने की साइबर ट्रेनिंग पूरी कर लौटे हैं, जिन्हें विशेषज्ञ ही माना जाए।