नई दिल्ली। Breaking News : देश की 2027 की जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। गृह मंत्रालय की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। यह देश की 16वीं जनगणना और स्वतंत्र भारत की 8वीं जनगणना होगी, जो पूरी तरह डिजिटल तरीके से दो चरणों में कराई जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस बार जनगणना में हर परिवार की संपत्ति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और जातिगत विवरण भी दर्ज किए जाएंगे।
क्या होंगे दो चरण?
पहले चरण में मकानों की सूची और उनके भीतर की सुविधाओं की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में परिवार के प्रत्येक सदस्य से जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जानकारी जुटाई जाएगी।
34 लाख सर्वे कर्मचारी होंगे तैनात
इस व्यापक कार्य के लिए 34 लाख फील्ड वर्कर और सुपरवाइज़र, जबकि 1.3 लाख जनगणना अधिकारी देशभर में नियुक्त किए जाएंगे। ये सभी कर्मचारी मोबाइल ऐप के जरिए जानकारी एकत्र करेंगे, जिससे यह देश की पहली 100% डिजिटल जनगणना होगी।
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जाति की भी जानकारी ली जाएगी
सरकार ने पुष्टि की है कि इस बार जनगणना में जातिगत आंकड़ों को भी दर्ज किया जाएगा, जो नीति-निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे।
स्व-गणना का भी विकल्प
लोग चाहें तो मोबाइल ऐप के जरिए घर बैठे भी अपनी जानकारी दर्ज कर सकते हैं। इस ‘स्व-गणना’ सुविधा से जनता को सहूलियत और डेटा की सटीकता दोनों बढ़ेगी।
डेटा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
गृह मंत्रालय ने कहा है कि डेटा संग्रहण से लेकर स्टोरेज तक हर स्तर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। किसी भी तरह की जानकारी लीक न हो, इसके लिए विशेष तंत्र स्थापित किया जा रहा है।
इतिहास की नज़र से
1881 से 1971 के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में जनसंख्या वृद्धि अलग-अलग रही। उत्तर भारत में यह बढ़ोतरी सबसे कम (115%) दर्ज की गई, जबकि पूर्वी भारत में सबसे अधिक (213%)। वहीं, 1881 से 2011 तक की अवधि में भी उत्तर भारत (427%) सबसे कम बढ़ा, जबकि पूर्वी भारत (535%) शीर्ष पर रहा।
कब आएंगे नतीजे?
जनगणना के पहले चरण के आंकड़े 2028 तक और पूर्ण रिपोर्ट 2029-30 तक सार्वजनिक की जाएगी।
निष्कर्ष:
जनगणना 2027 न केवल एक आंकड़ा संग्रह प्रक्रिया होगी, बल्कि यह आने वाले दशकों के लिए देश की नीतियों और योजनाओं की नींव रखेगी। डिजिटल और सुरक्षित जनगणना का यह प्रयास, भारत को डेटा-आधारित प्रशासन की ओर एक कदम और आगे बढ़ाएगा।