Balod News : केपी चंद्राकर : बालोद :- छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में ग्रामीणों के अनुसार डौंडीलोहारा विकासखंड में शिक्षा विभाग में कालाबजारी हुआ है जो भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) हिमांशु मिश्रा पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने एक लकवाग्रस्त व्यक्ति, मानसिंह ठाकुर, को शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला हड़गहन में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया और उनके वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा स्वयं हड़पता है । यह घटना न केवल शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है.
Balod News : बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे भ्रष्टाचार ने छोटे-छोटे गाँवों तक अपनी पैठ बना ली है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मामला व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का प्रतीक है, जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।मानसिंह ठाकुर पिछले पांच वर्षों से लकवा से पीड़ित हैं और न तो चल-फिर सकते हैं, न बोल सकते हैं, और न ही कोई कार्य करने में सक्षम हैं। फिर भी, उन्हें शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला हड़गहन में शिक्षक के रूप में पदस्थ किया गया है। ग्रामीणों के अनुसार, उनकी जगह उनकी बेटी स्कूल में पढ़ाने आती है।
Balod News : इस पूरे खेल में हिमांशु मिश्रा, शाला विकास समिति, और प्रधान पाठक जे.पी. सिन्हा की मिलीभगत का आरोप है। इस तिकड़ी ने मिलकर मानसिंह के वेतन का बड़ा हिस्सा हड़प लिया जाता है जिससे हर महीने लाखों रुपये की उगाही हो रही है। यह स्थिति नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है और शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र को भ्रष्टाचार का अड्डा बनने की ओर इशारा करती है।स्कूल के माहौल और बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्थिति और भी चिंताजनक है। ग्रामीणों का कहना है कि मानसिंह को स्ट्रेचर पर लिटाकर स्कूल लाया जाता है और एक अलग कमरे में रखा जाता है। इस कमरे में वह मल-मूत्र तक करता है, जिससे स्कूल का वातावरण अस्वच्छ और असुरक्षित हो गया है।
Balod News : ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि मानसिंह ठाकुर को कोई संक्रामक बीमारी हो सकती है, जो बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसके बावजूद, स्कूल प्रशासन ने इस मामले को नजरअंदाज किया और भवन की कमी का हवाला देकर कई कक्षाओं को एक ही कमरे में ठूंस दिया। यह न केवल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा है, बल्कि उनके शिक्षा के अधिकार का भी हनन करता है। शिक्षा का मंदिर, जो बच्चों के भविष्य को संवारने का स्थान होना चाहिए, अब लापरवाही और भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है।हिमांशु मिश्रा का भ्रष्टाचार का इतिहास कोई नया नहीं है। ग्रामीणों और शिक्षक संगठनों के अनुसार, उनके खिलाफ पहले भी अनियमित नियुक्तियों और रिश्वतखोरी के कई मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि, इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि मिश्रा को स्वजातीय संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते उनकी शिकायतें कलेक्टर कार्यालय में रद्दी की टोकरी में डाल दी जाती हैं।
Balod News : यह स्थिति यह सवाल उठाती है कि क्या प्रशासन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में शामिल है? मिश्रा जैसे अधिकारियों की जवाबदेही तय न होने से भ्रष्टाचार को और बल मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार अब कोई नई बात नहीं है। पहले इस तरह की घटनाएँ उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों तक सीमित मानी जाती थीं, लेकिन अब छत्तीसगढ़ भी इस सूची में शामिल हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में आने के बाद शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं।
Balod News : अनुकंपा नियुक्तियों में रिश्वत, युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में अनियमितताएँ, और फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मामले अब आम हो गए हैं। बालोद जिले में ही जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारियों पर रिश्वतखोरी के आरोप में निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन हिमांशु मिश्रा जैसे लोग अभी भी बेखौफ हैं।हड़गहन गाँव के निवासियों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग, जो बच्चों के भविष्य को संवारने का दायित्व रखता है, अब भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि हिमांशु मिश्रा, जे.पी. सिंहा, और शाला विकास समिति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।

Balod News : साथ ही, मानसिंह ठाकुर की नियुक्ति की उच्चस्तरीय जाँच हो और वेतन हड़पने के आरोपों की गहन पड़ताल की जाए। ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि स्कूल में स्वच्छता और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न दोहराई जाएँ।यह मामला केवल एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के शिक्षा तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक दुखद उदाहरण है। हिमांशु मिश्रा जैसे अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार को प्रशासन का मौन समर्थन प्राप्त है।

Balod News : यदि साय सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात करती है, तो उसे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना होगा। मानसिंह ठाकुर की नियुक्ति की जाँच, वेतन हड़पने के आरोपों की पड़ताल, और स्कूल में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना समय की माँग है। शिक्षा विभाग को भ्रष्टाचार का अड्डा बनने से रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। यह समय है कि व्यवस्था में पारदर्शिता लाई जाए और दोषियों को सजा दी जाए, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे और शिक्षा का मंदिर अपनी गरिमा बरकरार रखे।









