रायपुर, 4 मई 2025: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन विंग इस समय भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापत्तनम कॉरिडोर में हुए आर्थिक भ्रष्टाचार की जांच कर रही है। इसकी घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा में की थी, जिससे सरकार की गंभीरता और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता को बल मिलता है। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है, या फिर यह शक्तिशाली राजनेताओं के इशारे पर चलने वाली कठपुतली बन चुकी है? क्योंकि हाल ही में दर्ज एफआईआर और की गई गिरफ्तारियां कॉरिडोर से जुड़ी आर्थिक अनियमितताओं से कम, एक अलग ज़मीन विवाद की ओर इशारा करती हैं।
जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है—उमा तिवारी, केदार तिवारी, हरमीत खनूजा और विजय जैन—उनका मामला उगेतरा गांव की 25 एकड़ ज़मीन से जुड़ा है, जो रायपुर-विशाखापत्तनम कॉरिडोर का हिस्सा नहीं, बल्कि आरंग-रायपुर-दुर्ग सिक्सलेन एक्सप्रेसवे से संबंधित है। यह ज़मीन वर्षों पुराने ट्रस्ट विवाद और राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों से जुड़ी है, जहाँ उमा तिवारी को पहले ही राजस्व न्यायालयों से अधिकारिक जीत मिल चुकी है। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि एफआईआर क्रमांक 23/04/25 वाकई भारतमाला परियोजना से संबंधित घोटाले की है या केवल एक महिला को मिले मुआवजे की राशि पर केंद्रित है।
वहीं असली आर्थिक अपराध रायपुर-विशाखापत्तनम कॉरिडोर के अभनपुर विकासखंड के गांवों में सामने आ रहे हैं, विशेषकर नायकबांधा गांव में। वर्ष 1959-60 में जलसंसाधन विभाग द्वारा अधिग्रहित एक हेक्टेयर भूमि का रिकॉर्ड अब तक विभाग के नाम दर्ज नहीं किया गया, जिससे अधिकारियों ने सुनियोजित तरीके से करोड़ों रुपये का फर्जी मुआवजा जारी करवाया। राजस्व और जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने रिकॉर्ड के अभाव में मिथ्या दस्तावेज बनाकर मुआवजे की बंदरबांट की। नायकबांधा गांव में ही विभिन्न लोगों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2.34 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा गया, जिसे तत्कालीन अपर कलेक्टर बी.सी. साहू ने अपनी जांच में प्रमाणित किया है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार कमल नारायण चतुर्वेदानी, ललित चतुर्वेदानी, मीना बाई, टीकमचंद राठी, हेमंत टावरी जैसे कई व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए मुआवजा प्राप्त किया। अब सवाल यह है कि ईओडब्ल्यू ने जिस दिशा में कार्रवाई शुरू की थी, वह भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की ओर थी या केवल दिखावे की कार्रवाई? असल आर्थिक घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुल रही हैं, और आने वाले समय में अन्य गांवों में हुए करोड़ों के खेल का भी पर्दाफाश होने की उम्मीद है। लेकिन यह तभी संभव है जब जांच एजेंसी सत्ताधारी प्रभाव से मुक्त होकर निष्पक्षता से अपना कार्य करे।