Trump Tariff Plan : वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अमेरिकी व्यापार नीति में बड़ा बदलाव करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि 1 अगस्त से फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जा सकते हैं। ट्रंप का यह कदम भारतीय दवा कंपनियों और ग्लोबल सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन दोनों पर गहरा असर डाल सकता है।
दवा कंपनियों को मिलेगा एक साल का समय
पिट्सबर्ग में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद ट्रंप ने कहा कि “हम शायद इस महीने के अंत तक कम दर वाले टैरिफ से शुरुआत करेंगे और फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाएंगे। कंपनियों को अमेरिका में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लाने के लिए एक साल या उससे अधिक का समय दिया जाएगा।” ट्रंप ने यह भी कहा कि सेमीकंडक्टर चिप्स पर टैरिफ लागू करना फार्मा सेक्टर के मुकाबले आसान होगा। हालांकि इस पर विस्तृत जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर टैरिफ की तैयारी
ट्रंप ने पहले ही 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट की सेक्शन 232 के तहत दवाओं के आयात की समीक्षा का आदेश दे दिया था। उनका तर्क है कि
“विदेशों से भारी मात्रा में दवाओं और मेडिकल सप्लाई का आयात अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।”
इस कदम का सीधा असर एली लिली एंड कंपनी, मर्क एंड कंपनी, फाइजर इंक जैसी बड़ी कंपनियों पर पड़ेगा, जो अमेरिका से बाहर दवाएं बनाकर वहां भेजती हैं।
भारतीय फार्मा कंपनियों पर क्या पड़ेगा असर?
- भारत की फार्मा इंडस्ट्री का करीब 30-40% रेवेन्यू अमेरिका से आता है
- 2024 में भारत ने अमेरिका को 12.72 बिलियन डॉलर के फार्मा उत्पाद निर्यात किए
- वहीं, अमेरिका से भारत में सिर्फ 800 मिलियन डॉलर के प्रोडक्ट्स आए
- अगर अमेरिका भारी टैरिफ लगाता है: बड़ी कंपनियां जैसे Dr. Reddy’s, Sun Pharma कुछ हद तक कीमतें बढ़ाकर नुकसान झेल सकती हैं. लेकिन मिड और स्मॉल फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा
सेमीकंडक्टर सेक्टर भी निशाने पर
ट्रंप ने यह भी संकेत दिए हैं कि सेमीकंडक्टर यानी कम्प्यूटर चिप्स पर भी टैरिफ लागू किए जाएंगे।
- यह फैसला चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और भारत से होने वाले चिप्स आयात को प्रभावित कर सकता है
- इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और AI सेक्टर में इसकी मार देखने को मिल सकती है