Chhattisgarh Vidhansabha 2025 : रायपुर | छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा गरमा गया, जब भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा ‘बोरे बासी दिवस’ में 8.97 करोड़ रुपये खर्च करने पर सवाल उठाया। इस कार्यक्रम का आयोजन 1 मई 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के मौके पर किया गया था।
क्या है पूरा मामला?
तखतपुर से भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने विधानसभा में श्रम मंत्री से पूछा कि वर्ष 2023 में बोरे बासी दिवस किस उद्देश्य से मनाया गया और उसमें कितने लोगों को शामिल किया गया?
इसके जवाब में श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने लिखित जवाब में बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य राज्य के श्रमिकों को मंडल की योजनाओं के प्रति जागरूक करना और लाभ पहुंचाना था। इस दिन 1 लाख 30 हजार श्रमिकों को आमंत्रित किया गया, जिनमें से लगभग 50,000 श्रमिकों ने भाग लिया।
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कहां से आया पैसा?
इस एक दिवसीय आयोजन पर खर्च की गई ₹8.97 करोड़ की राशि इन स्रोतों से ली गई:
- ₹10 लाख — असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा मंडल
- ₹25 लाख — श्रम कल्याण मंडल
- ₹8.62 करोड़ — भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल
यह रकम जिला श्रम कार्यालयों को आबंटित की गई थी, जिन्होंने खाद्य, परिवहन और कार्यक्रम आयोजन से जुड़ी व्यवस्थाएं कीं।
टेंडर पर उठा सवाल, भाजपा ने साधा निशाना
कार्यक्रम के आयोजन का टेंडर मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेज को दिया गया था, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। भाजपा ने इस आयोजन को “पब्लिक फंड की बर्बादी” करार दिया और वेंडर के चयन पर सवाल खड़े किए। हैरानी की बात यह है कि वही वेंडर, जिसे कांग्रेस काल में बोरे बासी दिवस के लिए चुना गया था, वर्तमान भाजपा सरकार में भी सरगुजा के मैनपाट में चिंतन शिविर के आयोजन में शामिल रहा।
विधानसभा में तीखी बहस
इस मुद्दे पर जबर्दस्त बहस देखने को मिली। विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर एक दिन के लिए करोड़ों खर्च कर देना श्रमिकों के नाम पर धन का दुरुपयोग है। वहीं विपक्ष ने इसे “श्रमिक सम्मान का आयोजन” बताया और कहा कि भाजपा केवल राजनीतिक स्कोरिंग कर रही है।