Sharia Law : नई दिल्ली/कोच्चि। यमन की जेल में हत्या के आरोप में फांसी की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। भारत के ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप किया है। मुफ्ती के प्रयासों से अब निमिषा को फांसी से राहत मिलने की उम्मीद फिर से जगी है।
यमन में हो रही गुप्त बैठकें, शेख हबीब उमर कर रहे हैं नेतृत्व
ग्रांड मुफ्ती के अनुरोध पर यमन के जाने-माने सूफी विद्वान शेख हबीब उमर इस प्रकरण में मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे हैं। उनके प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर ने यमन के उत्तरी क्षेत्र में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, जिसमें यमनी सरकार के अधिकारी, न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्य, मृतक तलाल के परिजन और स्थानीय आदिवासी नेता शामिल हुए। यह बातचीत संवेदनशील रही और इसका विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इसे सकारात्मक कूटनीतिक प्रयास माना जा रहा है।
https://www.youtube.com/watch?v=5Tupz0Czjhk16 जुलाई को होनी है फांसी, समय कम लेकिन उम्मीद कायम
निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी है। वह 2017 से यमन की जेल में बंद हैं और भारत सरकार लगातार कूटनीतिक और वैधानिक उपायों से उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। लेकिन यमन में भारतीय दूतावास न होने और राजनीतिक अस्थिरता के कारण प्रयास सीमित रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई, केंद्र सरकार ने जताई असहायता
हाल ही में हुई सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि यमन की राजनीतिक स्थिति और न्याय प्रणाली को देखते हुए सीधे हस्तक्षेप की संभावनाएं बेहद सीमित हैं। सरकार ने बताया कि ब्लड मनी (दीया) के माध्यम से ही निमिषा को बचाने का एकमात्र रास्ता शेष है।
ब्लड मनी: कुरान आधारित न्याय प्रक्रिया का हिस्सा
शरिया कानून के अनुसार, हत्या के मामलों में मृतक के परिवार को यह अधिकार है कि वे दोषी को क्षमा कर सकें, यदि वह एक निश्चित राशि बतौर ब्लड मनी (दीया) अदा करता है। निमिषा की मां और परिवार ने इस माफी के लिए अपनी संपत्ति गिरवी रखकर और क्राउडफंडिंग के ज़रिए ब्लड मनी जुटाने की कोशिश की है।
‘सेव निमिषा प्रिया’ कैंपेन और सामाजिक सहयोग
2020 में स्थापित किए गए ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के माध्यम से दुनियाभर में जागरूकता और फंडिंग का अभियान चलाया गया। केरल के एक उद्योगपति ने भी 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि की घोषणा की थी।
यमन की राजनीतिक स्थिति बनी सबसे बड़ी बाधा
यमन में चल रहे गृहयुद्ध और राजनीतिक अस्थिरता के चलते भारत की पहुंच सीमित है। वहां भारतीय दूतावास न होने से कूटनीतिक संवाद भी बाधित होता रहा है। इसके बावजूद ग्रांड मुफ्ती और सूफी नेताओं के माध्यम से हो रहा यह संवाद, निमिषा को अंतिम समय पर राहत दिला सकता है।