SCO meeting : बीजिंग |भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर चीन पहुंचे हैं। यह यात्रा पांच वर्षों में उनकी पहली चीन यात्रा है, जो ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन गलवान घाटी संघर्ष के बाद संबंधों को सामान्य करने की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। जयशंकर यहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। बीजिंग पहुंचने के तुरंत बाद उन्होंने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इस बातचीत को दोनों देशों के बीच सुधार की ओर बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों के रूप में देखा जा रहा है।
उप-राष्ट्रपति हान झेंग से हुई अहम बातचीत
विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक के बाद सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा:
“आज बीजिंग पहुंचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलना सुखद रहा। उन्हें एससीओ में भारत के समर्थन से अवगत कराया। द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर चर्चा हुई और मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा इस सकारात्मक ट्रेजेक्टरी को और मजबूत करेगी।”
इस दौरान जयशंकर ने कूटनीतिक रूप से कई महत्वपूर्ण बातें रखीं:
- भारत ने चीन की एससीओ अध्यक्षता का समर्थन किया है।
- जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मोदी-शी की पिछली बैठक (कजान, अक्टूबर 2024) के बाद संबंधों में सुधार दिखा है।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत में व्यापक रूप से सराही गई है।
- मौजूदा वैश्विक हालात के बीच, भारत-चीन के बीच विचारों का खुला आदान-प्रदान बहुत जरूरी है।
हान झेंग ने ‘ड्रैगन-हाथी टैंगो’ की बात दोहराई
चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग ने कहा:
“भारत और चीन दोनों ही महत्वपूर्ण विकासशील देश और ग्लोबल साउथ के अहम सदस्य हैं। दोनों को एक-दूसरे की सफलता में सहयोगी बनना चाहिए। ‘ड्रैगन-हाथी टैंगो’ हासिल करना दोनों पक्षों के लिए उचित विकल्प है।”
उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों को:
- नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमतियों को लागू करना चाहिए।
- व्यावहारिक सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए।
- एक-दूसरे की संवेदनशील चिंताओं का सम्मान करना चाहिए।
गलवान के बाद संबंधों में नई शुरुआत की कोशिश
एस. जयशंकर की यह यात्रा 2020 के गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच स्थिरता की ओर बढ़ने की एक नई कोशिश मानी जा रही है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल भी हाल ही में एससीओ बैठकों के लिए चीन की यात्रा कर चुके हैं। इस यात्रा को उस व्यापक कूटनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें दोनों देश सीमा विवाद को हल करने और राष्ट्रहित को सुरक्षित रखते हुए संबंध सुधारने के प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर आ सकते हैं और एनएसए डोभाल से विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत कर सकते हैं।
पड़ोसी लेकिन प्रतिस्पर्धी: रिश्तों में नया अध्याय?
भारत और चीन के संबंधों में हाल के वर्षों में गंभीर तनाव देखने को मिला है, विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद को लेकर। हालांकि दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग, वैश्विक मंचों पर भागीदारी और संयुक्त अभियानों के माध्यम से रिश्तों में सुधार की पहल की है। जयशंकर की यह यात्रा दोनों पक्षों के लिए राजनयिक संतुलन साधने और रणनीतिक संवाद बनाए रखने का एक अहम अवसर है। चीन भी वैश्विक स्तर पर खुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है, ऐसे में भारत जैसे क्षेत्रीय शक्ति के साथ स्थिर संबंध उसकी प्राथमिकता बन सकती है।