सिमी पर रहेगा प्रतिबंध : नई दिल्ली। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने सिमी पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सिमी पर प्रतिबंध अगले पांच वर्षों तक जारी रहेगा।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ — जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता — ने याचिकाकर्ता की वैधानिकता पर ही सवाल उठा दिए। हुमाम अहमद सिद्दीकी द्वारा दायर की गई याचिका को सुनवाई के लायक नहीं मानते हुए खारिज कर दिया गया। यह याचिका यूएपीए ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें सिमी पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को वैध ठहराया गया था।
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ट्रिब्यूनल का आदेश क्या था?
29 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार ने UAPA (Unlawful Activities Prevention Act), 1967 की धारा 3(1) के तहत सिमी पर प्रतिबंध को आगे 5 साल के लिए बढ़ाया था। इसके बाद केंद्र सरकार के फैसले की समीक्षा के लिए गठित यूएपीए ट्रिब्यूनल ने इस प्रतिबंध को सही करार देते हुए कहा:
- सिमी युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने का काम कर रहा है।
- यह संगठन अपने फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन के जरिए अभी भी सक्रिय है।
- लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों से इसके संबंध हैं।
- सिमी का उद्देश्य भारत में धार्मिक उन्माद और अस्थिरता फैलाना है।
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सरकार का पक्ष:
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था:
“सिमी भारत की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बना हुआ है। यह संगठन सांप्रदायिक तनाव फैलाने और आतंकवादी घटनाओं में शामिल रहा है।”
गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं यह घोषणा करते हुए कहा था:
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को आगे बढ़ाते हुए सिमी को अगले 5 साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है।”
सिमी पर क्यों है प्रतिबंध?
- 1994 के बाद से सिमी के खिलाफ कई आतंकी घटनाओं में संलिप्तता के सबूत सामने आए हैं।
- इस संगठन ने समय-समय पर देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की है।
- 2001, 2006, और 2008 में भी सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया था।
- संगठन पर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी संस्थाओं ने भी निगरानी बढ़ा रखी है।
सिमी पर प्रतिबंध 2029 तक वैध रूप से लागू रहेगा, और इसके खिलाफ कोई कानूनी विकल्प अब शेष नहीं बचा है। इसके चलते:
- सिमी का कोई भी सार्वजनिक प्रचार, सभा, फंडिंग या गतिविधि गैरकानूनी मानी जाएगी।
- इससे जुड़े लोगों के खिलाफ UAPA के तहत कड़ी कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
- जांच एजेंसियां लगातार इसकी गतिविधियों की निगरानी कर रही हैं।