Corruption : कोरबा | छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर में हाल ही में उद्घाटित देवी अहिल्याबाई होलकर कन्वेंशन सेंटर की फॉल सीलिंग शनिवार को अचानक ढह गई, जिससे निर्माण की गुणवत्ता और संभावित भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। गनीमत रही कि घटना के वक्त भवन में कोई मौजूद नहीं था, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।
मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन, अब घटिया निर्माण की पोल खुली
इस भवन का लोकार्पण करीब एक महीने पहले ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया था। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव भी उपस्थित थे। फॉल सीलिंग के भरभराकर गिरने की घटना ने सार्वजनिक निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता पर गहरी चोट की है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि 17 करोड़ की लागत से बने भवन की यह हालत महज कुछ हफ्तों में कैसे हो गई?

निर्माण में भारी अनियमितताएं, ठेकेदार-अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका
सूत्रों के अनुसार, कन्वेंशन सेंटर का निर्माण कई वर्षों की देरी के बाद पूरा हुआ था और डीएमएफ (District Mineral Foundation) फंड से इसकी लागत वहन की गई थी। फॉल सीलिंग गिरने की घटना ने इशारा किया है कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ। माना जा रहा है कि ठेकेदार ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी की और संभवतः निर्माण विभाग के अधिकारियों की शह पर गुणवत्ता से समझौता किया गया। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने भी सवाल उठाए हैं कि क्या लोकार्पण की जल्दी में अधूरी तैयारियों के साथ भवन का उद्घाटन करा दिया गया, जिससे अब इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं।
डीएमएफ फंड का दुरुपयोग?
यह भवन डीएमएफ निधि से बना है, जिसका उद्देश्य खनिज प्रभावित क्षेत्रों के विकास और जनकल्याण है। लेकिन जिस जनधन से बनी संरचना एक महीने भी नहीं टिक सकी, वह स्वयं में एक प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या डीएमएफ फंड का दुरुपयोग किया गया?

कलेक्टर का बयान – जांच और सुधार के निर्देश दिए जाएंगे
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने कहा, “मैंने संबंधित विभाग को फॉल सीलिंग की जांच और सुधार के निर्देश दिए हैं। दोषियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी और भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई न जाए, इसके लिए विशेष सतर्कता बरती जाएगी।”
विपक्ष और जनता का सवाल – क्या होगा जिम्मेदारों पर एक्शन?
स्थानीय विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस हादसे को लेकर निर्माण विभाग और ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि सिर्फ जांच का आदेश देने से कुछ नहीं होगा, जब तक कि भ्रष्टाचारियों पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।