बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद से जुड़े एक मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सख्त रुख अपनाते हुए तल्ख टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि सिविल मामले में एफआईआर दर्ज कर याचिकाकर्ताओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। कोर्ट ने एफआईआर, चार्जशीट और निचली अदालत में चल रही समस्त आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
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दरअसल, दयालबंद निवासी रामेश्वर जायसवाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सिरगिट्टी पुलिस द्वारा 8 मार्च 2024 को दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी। पुलिस ने विवादित संपत्ति के मामले में 22 जून 2024 को चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके खिलाफ झूठी शिकायत कर एक महिला व अन्य ने संपत्ति के दस्तावेज लौटाने के बदले 4.56 लाख रुपए की मांग की थी। वहीं, राज्य की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के वकील ने एफआईआर को जायज ठहराया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आपराधिक कानून का दुरुपयोग कर दबाव बनाना कानून की प्रक्रिया का अपमान है। डिवीजन बेंच ने कहा कि सिविल विवादों को आपराधिक रंग देना न्याय व्यवस्था को भ्रमित करने वाला है और मजिस्ट्रेट को ऐसे मामलों में शुरुआत से ही सजग रहना चाहिए।