Indian nurse sentenced to death in Yemen : दिल्ली। केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं। 16 जुलाई 2025 को यमन की राजधानी सना में उन्हें सजा-ए-मौत दी जानी है। भारत सरकार उनकी जान बचाने की आखिरी कोशिशों में जुटी है, लेकिन उम्मीद की डोर अब सिर्फ ब्लड मनी यानी मुआवजे पर टिकी है।
कौन हैं निमिषा प्रिया
निमिषा एक पेशे से नर्स हैं जो 2015 में काम के सिलसिले में यमन गई थीं। वहां उनकी मुलाकात यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी से हुई, जो एक स्टोर का मालिक था। दोनों ने मिलकर एक क्लिनिक की शुरुआत की। लेकिन यही साझेदारी एक डरावनी त्रासदी में तब्दील हो गई। निमिषा भारत छुट्टी पर लौटीं तो तलाल ने उनकी शादी की तस्वीरें चुरा लीं और इन्हें दिखाकर दावा करने लगा कि उसकी शादी निमिषा से हुई है। यमन के चल रहे गृहयुद्ध के बीच तलाल का रवैया हिंसक हो गया। उसने निमिषा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया, जिससे वह यमन नहीं छोड़ सकीं।
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निमिषा की मां के मुताबिक, तलाल लगातार पैसों और गहनों की मांग करता रहा। तंग आकर, निमिषा ने उसे बेहोश करने की नीयत से नशीली दवा दी, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। शव को छुपाने के लिए उन्होंने एक स्थानीय महिला की मदद से उसे टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में बहा दिया।
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2020 में यमन की अदालत ने निमिषा को फांसी की सजा सुनाई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। अब केवल पीड़ित के परिवार की माफी ही उसे फांसी से बचा सकती है। इसके लिए भारी ब्लड मनी (मुआवजा) देने की जरूरत है। भारत सरकार और सामाजिक संगठन लगातार राजनयिक और आर्थिक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है।
पूरे देश की निगाहें अब 16 जुलाई पर टिकी हैं, जब निमिषा को फांसी दी जानी है। क्या ब्लड मनी के जरिए उसकी जान बचाई जा सकेगी? या एक और भारतीय नागरिक विदेशी सरजमीं पर न्याय की जटिलताओं का शिकार हो जाएगी? यह मामला सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का भी बड़ा इम्तिहान बन चुका है।