Indian Army : नई दिल्ली। भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक अत्याधुनिक माउंटेड गन सिस्टम (MGS) विकसित किया है, जो भारतीय सेना की फायर पावर और गतिशीलता दोनों को नई ऊंचाई देगा। यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित सिस्टम अब उपयोगकर्ता ट्रायल के लिए तैयार है। इसे अहमदनगर स्थित व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE) ने डिजाइन और डेवलप किया है।
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क्या है माउंटेड गन सिस्टम?
यह एक स्वचालित तोप प्रणाली है जिसे हाई-मोबिलिटी वाहन पर लगाया गया है। MGS का निर्माण 155mm/52 कैलिबर की एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) के आधार पर किया गया है। इसकी ‘शूट एंड स्कूट’ क्षमता इसे आधुनिक युद्ध के लिए बेहद घातक बनाती है, यानी गोली चलाते ही यह तुरंत स्थान बदल सकता है, जिससे जवाबी हमले से बचा जा सके।
प्रमुख विशेषताएं
- अधिकतम फायरिंग रेंज 45 किमी
- शूट एंड स्कूट समय: 80 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार, 85 सेकंड में मूव
- फायरिंग रेट: 6 राउंड प्रति मिनट, 12 राउंड 3 मिनट में
- किसी भी इलाके में चलने योग्य: रेगिस्तान, पहाड़, बर्फीले क्षेत्र
- अधिकतम गति: 90 किमी/घंटा (सड़क पर), 60 किमी/घंटा (रफ टेरेन)
- वजन: 30 टन (तोप और वाहन मिलाकर)
- 7 क्रू मेंबर के लिए बुलेटप्रूफ केबिन
- 80% तक उपकरण स्वदेशी, मेक इन इंडिया का सशक्त उदाहरण
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तकनीकी विशेषताएं
- इंटीग्रेटेड फायर कंट्रोल सिस्टम, आर्टिलरी कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से संगत
- 24 गोले ले जाने की क्षमता, BMCS सिस्टम के साथ
- बख्तरबंद केबिन से क्रू को सुरक्षा
- 40 टन तक के पुलों से गुजरने में सक्षम
- आसानी से रेल या C-17 जैसे भारी ट्रांसपोर्ट विमानों से ट्रांसपोर्टेबल

सेना के लिए क्यों है यह गेम-चेंजर…
- इसकी तैनाती और तेजी से मूव करने की क्षमता युद्ध के मैदान में भारतीय सेना को भारी बढ़त देती है। यह हर भौगोलिक परिस्थिति में इस्तेमाल हो सकता है — चाहे सियाचिन की बर्फीली चोटियां हों, राजस्थान का तपता रेगिस्तान, या पूर्वोत्तर के जटिल पहाड़ी इलाके।
- MGS ने पोखरण में अपने शुरुआती फायरिंग और गतिशीलता परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। अब इसे विभिन्न इलाकों और मौसमों में यूजर ट्रायल के लिए भेजा जाएगा, जो 2026 तक पूरे होंगे।
- मेक इन इंडिया की बड़ी छलांग
- DRDO के नेतृत्व में इसका निर्माण भारत फोर्ज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL), एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) और BEML जैसी कंपनियों के सहयोग से हुआ है। मार्च 2025 में भारत सरकार ने 6900 करोड़ रुपये की लागत से 307 ATAGS यूनिट्स का ऑर्डर दिया है। सेना को कुल 700 से 800 यूनिट्स की जरूरत है।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा और निर्यात की उम्मीद
फ्रांस का सीज़र और इज़रायल का ATMOS जैसे माउंटेड गन सिस्टम रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुके हैं। भारत का MGS इनसे किसी भी मायने में पीछे नहीं है। 2023 में भारत ने इसकी 6 यूनिट्स आर्मेनिया को निर्यात भी की थीं, जिससे इसके अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतरने की संभावना और बढ़ गई है।