BIG NEWS : रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज सुबह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी उस समय हुई जब ईडी की टीम ने सुबह छह बजे उनके भिलाई स्थित आवास पर छापेमारी की। कार्रवाई कथित शराब घोटाले से जुड़ी है। इस गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है।
ईडी की टीम ने चैतन्य बघेल को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया, जहां अदालत ने उन्हें 5 दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया है। अब 22 जुलाई को शाम 4 बजे चैतन्य को फिर से विशेष न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस दौरान ईडी उनसे घोटाले से जुड़े दस्तावेज़ों, लेन-देन और कथित अवैध लाभ से संबंधित पूछताछ करेगी।

गिरफ्तारी पर कांग्रेस का आक्रोश
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि
“यह गिरफ्तारी राजनीतिक बदले की भावना से की गई है। यह स्पष्ट है कि केंद्र की भाजपा सरकार हमारे नेताओं को दबाने और डराने की रणनीति पर काम कर रही है। पहले भूपेश बघेल के आवास पर छापा मारा गया, और अब उनके बेटे को उनके जन्मदिन के दिन गिरफ्तार किया गया। यह अमानवीय है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब चुप नहीं बैठेगी और इस कार्रवाई के खिलाफ पूरे राज्य में 19 जुलाई को जिला स्तर पर प्रदर्शन और पुतला दहन किया जाएगा। कांग्रेस ने सभी सांसदों, विधायकों, नगर निगमों के पार्षदों और संगठन के पदाधिकारियों को प्रदर्शन में शामिल होने के निर्देश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला
ईडी की कार्रवाई कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। पहले भी इस घोटाले में कई सरकारी और निजी एजेंसियों पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने राज्य में अवैध शराब नेटवर्क के ज़रिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। चैतन्य बघेल पर आरोप है कि वे इस घोटाले के एक कथित मॉड्यूल से जुड़े हुए हैं, जिसमें उन्होंने फर्जी कंपनियों और बोगस ट्रांजैक्शन के माध्यम से धन अर्जित किया। ईडी ने इस घोटाले में अब तक कई बार छापेमारी की है और करोड़ों रुपये की संपत्ति अटैच भी की गई है। जांच एजेंसी का कहना है कि चैतन्य बघेल से पूछताछ में घोटाले से जुड़ी कई परतें खुल सकती हैं।
राजनीतिक मायने और आगे की रणनीति
इस मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को गर्मा दिया है। कांग्रेस जहां इसे लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं पर हमला बता रही है, वहीं भाजपा की तरफ से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस गिरफ्तारी का असर आगामी स्थानीय चुनावों और पार्टी की आंतरिक एकजुटता पर पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच किस तरह ले जाती है और क्या यह वाकई भाजपा के खिलाफ जनाक्रोश का कारण बनेगा या नहीं।