खैरागढ़। Khairagarh News : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ विकासखंड से शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। ग्राम देवरी स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ प्रधानपाठक रेशमलाल बेरवंशी को आखिरकार शराब के नशे में स्कूल पहुंचने पर निलंबित कर दिया गया है। ये कार्रवाई तब हुई जब मामला मीडिया की सुर्खियों में आया और खैरागढ़ कलेक्टर इंद्रजीत चन्द्रवाल को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा।
Khairagarh News : 15 जुलाई की घटना, लेकिन कार्रवाई में देरी
घटना 15 जुलाई की है, जब प्रधानपाठक शराब के नशे में विद्यालय पहुंचा। ग्रामीणों की शिकायत पर पहुंची खैरागढ़ बीईओ की टीम ने मौके पर शराब सेवन की पुष्टि की। इसके बाद पुलिस ने उसे डायल 112 के जरिए थाने पहुंचाया और मेडिकल जांच कराई गई। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि तीन दिनों तक मेडिकल रिपोर्ट को दबाए रखा गया। इस दौरान शिक्षा विभाग के अधिकारी मीडिया को गुमराह करते रहे और कुछ ‘सेटिंगबाज’ शिक्षक को बचाने में जुटे रहे।
पत्रकारिता और जनदबाव का असर
स्थानीय पत्रकारों ने लगातार थाने, बीईओ कार्यालय और जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अंततः जब पत्रकारों ने खैरागढ़ कलेक्टर से मुलाकात की और पूरे मामले को उनके संज्ञान में लाया, तब जाकर प्रशासनिक अमले की नींद टूटी।
कलेक्टर के निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रधानपाठक रेशमलाल बेरवंशी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन आदेश के तहत अब उनका मुख्यालय बीईओ कार्यालय खैरागढ़ रहेगा और उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।
राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी आया सामने
इस पूरे प्रकरण पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने शिक्षा विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायक प्रतिनिधि ने आंदोलन की चेतावनी दी, वहीं भाजपा सांसद प्रतिनिधि ने सख्त कार्रवाई की मांग की थी। ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि उनके अनुसार, शराबी शिक्षक की उपस्थिति से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।
सवाल अब भी बाकी हैं
हालांकि निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन यह मामला यह भी दिखाता है कि बिना मीडिया की सतर्कता, जनदबाव और प्रशासनिक सख्ती के कोई भी कदम नहीं उठता। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि विभागीय जांच में आगे क्या होता है – क्या शिक्षक की सेवा समाप्त होगी या फिर मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा? यह घटना छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है कि यदि जवाबदेही तय नहीं की गई, तो ऐसी घटनाएं बच्चों के भविष्य को प्रभावित करती रहेंगी।