Alcohol scandal : धनबाद। झारखंड के धनबाद जिले से एक बेहद अजीबो-गरीब मामला सामने आया है जिसने प्रशासन से लेकर आम जनता तक को हैरत में डाल दिया है। जिले के बलियापुर और प्रधान खुंटा क्षेत्रों की सरकारी शराब दुकानों से 802 भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) की बोतलें गायब मिली हैं। स्टॉक ऑडिट के दौरान जब इनकी गिनती नहीं मिली तो दुकानदारों ने इसका दोष ‘चूहों’ पर मढ़ दिया। उन्होंने दावा किया कि चूहों ने बोतलों के ढक्कन चबा लिए और सारी शराब गटक गए।
नई शराब नीति से पहले सामने आया घोटाला
यह ऑडिट 1 सितंबर 2025 से झारखंड में लागू होने वाली नई शराब नीति से ठीक पहले किया गया था। इस नीति के तहत अब शराब दुकानों का संचालन निजी लाइसेंसधारकों को सौंपा जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार ने पुराने स्टॉक और संचालन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ऑडिट करवाया। इसी दौरान यह ‘चूहे-कांड’ सामने आया।
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ऑडिट में क्या निकला?
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में जब शराब दुकानों का स्टॉक ऑडिट किया गया, तो 802 बोतलें या तो पूरी तरह खाली थीं या लगभग खाली। दुकानदारों का तर्क था कि चूहों ने बोतलों के ढक्कन चबा दिए और शराब पी ली। इस पर झारखंड उत्पाद विभाग की सहायक आयुक्त रमलीला रवानी ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “ये दावा सरासर बकवास है। चूहे शराब पी जाएं और बोतलें खाली कर दें, यह मानने लायक नहीं है।”
एजेंसी को भेजा जाएगा नोटिस
रवानी ने साफ किया कि विभाग इस तरह की बहानों को मान्यता नहीं देता। विभाग की तरफ से संबंधित एजेंसी को नोटिस भेजा जाएगा और जितनी शराब की बोतलें कम मिली हैं, उनकी भरपाई की जिम्मेदारी एजेंसी की ही होगी। उनके अनुसार, “फ्रेश माल दिया गया था, वैसी ही वापसी चाहिए।”
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यह पहली बार नहीं…
धनबाद में चूहों पर शराब, गांजा या अन्य नशीले पदार्थ गटकने का आरोप पहली बार नहीं लगा है। इससे पहले भी जब पुलिस द्वारा जब्त किया गया 10 किलो भांग और 9 किलो गांजा गायब हुआ था, तो जिम्मेदारी चूहों पर डाल दी गई थी। उस वक्त कोर्ट ने इस तरह की बेहूदी दलीलों पर अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी।
विवाद के बीच शुरू होने जा रही नई शराब नीति
यह पूरा विवाद तब सामने आया है जब झारखंड सरकार की नई शराब नीति एक सितंबर से लागू होने जा रही है। इसके तहत राज्य सरकार अब खुद खुदरा शराब दुकानें नहीं चलाएगी। इसके बदले शराब लाइसेंसधारियों का ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम से चयन किया जाएगा और संचालन निजी हाथों में जाएगा।
सरकार का उद्देश्य है कि इससे राजस्व में पारदर्शिता आएगी और सरकारी प्रशासनिक बोझ घटेगा। लेकिन इस तरह के घोटाले और आरोप सरकार के इस प्रयास की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं।
क्या बोले प्रशासनिक अधिकारी…
उत्पाद विभाग की अधिकारी रमलीला रवानी का साफ कहना है कि “हमें नहीं पता कि शराब किसने पी, लेकिन जिनके जिम्मे स्टॉक था, उनसे रिकवरी जरूर होगी। यह बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना और हास्यास्पद दावा है कि चूहे शराब पी गए।”
चूहों पर मढ़ा जा रहा है भ्रष्टाचार का बोझ
झारखंड जैसे राज्य में जहाँ पहले से ही खनन, शराब और नशीले पदार्थों को लेकर कई घोटाले सामने आते रहे हैं, वहां अब चूहों को घोटालों की ढाल बनाया जा रहा है। सवाल ये उठता है कि क्या प्रशासनिक सिस्टम में जवाबदेही तय होगी या हर बार ‘चूहों’ जैसे बहानों के सहारे घोटालेबाज़ बच निकलेंगे?