Assam News : गुवाहाटी। असम में अब अस्पतालों की अमानवीय हठधर्मिता पर ब्रेक लग गया है। इलाज के बिल चुकता न करने पर मरीज के शव को रोकने की वर्षों पुरानी क्रूर परंपरा को खत्म करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा फैसला सुनाया है। नए नियम के तहत किसी भी निजी अस्पताल या नर्सिंग होम को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के 2 घंटे से अधिक समय तक डेडबॉडी रोकने की अनुमति नहीं होगी, चाहे परिजनों पर लाखों का बिल बकाया क्यों न हो। मुख्यमंत्री ने इस फैसले को “मानवीय गरिमा की रक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम” बताते हुए कहा कि अब अगर किसी परिवार की शिकायत मिलती है कि शव नहीं सौंपा गया, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अस्पतालों पर 3 से 6 महीने का लाइसेंस सस्पेंशन, 5 लाख तक का जुर्माना, और बार-बार उल्लंघन पर स्थायी पंजीकरण रद्द तक की सज़ा दी जा सकती है।
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हेल्पलाइन नंबर से होगी निगरानी
सरकार ने 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 104 जारी किया है, जहां पीड़ित परिवार शिकायत दर्ज कर सकेंगे। शिकायत मिलते ही स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचकर शव की तत्काल सुपुर्दगी सुनिश्चित करेंगे, और दोषी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई शुरू होगी।
सीएम हिमंता ने कहा – “शव रोकना अमानवीय, ये वसूली नहीं ब्लैकमेलिंग है” प्रेस कांफ्रेंस में सीएम हिमंत सरमा ने कहा – “कोई भी संस्थान मानवता से ऊपर नहीं है। शव को रोकना सिर्फ वसूली नहीं, भावनात्मक ब्लैकमेलिंग है। इस पर अब पूर्ण विराम लगाया जा रहा है। हर अस्पताल को यह नियम मानना होगा।”
क्यों अहम है यह फैसला…देशभर में अक्सर ऐसी खबरें सामने आती हैं, जहां अस्पताल लाखों का बिल न चुकाने पर शव को रोक लेते हैं और परिजनों को असहाय स्थिति में छोड़ देते हैं। असम सरकार का यह फैसला अब बाकी राज्यों के लिए भी एक नज़ीर बन सकता है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि संवेदना के साथ किया गया मानवता का फैसला है।
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मुख्य बिंदु:
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मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के 2 घंटे के भीतर शव परिजनों को सौंपना अनिवार्य
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हेल्पलाइन नंबर 104 पर कर सकते हैं शिकायत
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नियम तोड़ने पर 5 लाख तक जुर्माना, लाइसेंस सस्पेंशन या रद्दीकरण
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हिमंता सरकार ने कहा – “अब शव के नाम पर ब्लैकमेल नहीं”