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Guru Purnima 2025 : गुरु पूर्णिमा पर करें ये 7 खास दान, मिलेगा गुरुकृपा, धन, सुख और शांति का आशीर्वाद

Guru Purnima 2025 : गुरु पूर्णिमा, भारतीय संस्कृति का एक दिव्य पर्व है, जो गुरु के प्रति श्रद्धा, समर्पण और आभार व्यक्त करने का अवसर देता है। यह केवल शिक्षा देने वाले गुरु के लिए नहीं, बल्कि जीवन के हर मार्गदर्शक, आध्यात्मिक गुरु, माता-पिता और शिक्षक के प्रति कृतज्ञता जताने का दिन होता है।

Guru Purnima 2025 : शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु पूर्णिमा के दिन पुण्यदायी दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह दान गुरु की कृपा पाने का एक साधन है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।तो आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन कौन-कौन सी चीजों का दान करना शुभ और फलदायी माना गया है:

1. अन्न का दान

गुरु पूर्णिमा पर अन्नदान को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। चावल, गेहूं, दाल आदि का दान गरीबों और ब्राह्मणों को करने से कभी न खत्म होने वाला अन्न भंडार प्राप्त होता है और घर में अन्न का अभाव नहीं होता।

2. वस्त्र और पीतांबर (पीले कपड़े)

गुरु को पीला रंग अत्यंत प्रिय होता है। इस दिन पीले वस्त्र या धोती, अंगवस्त्र, चादर आदि का दान करने से आध्यात्मिक उन्नति और मन की शुद्धता प्राप्त होती है।

3. छाता और जूते

श्रावण मास में वर्षा ऋतु होती है, ऐसे में छाता, चप्पल, जूते आदि का दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इससे राहु-केतु जैसे ग्रहों के दोष शांत होते हैं।

4. दीपक और घी का दान

शुद्ध घी, तेल और दीपक का दान करने से घर में अज्ञान का अंधकार दूर होता है और जीवन में गुरु की कृपा से प्रकाश आता है।

5. धार्मिक पुस्तकें और लेखन सामग्री

गुरु पूर्णिमा पर शास्त्र, भगवद्गीता, वेद, उपनिषद, या लेखन सामग्री (पेन, कॉपी, पुस्तकें) का दान विद्यार्थियों या जरूरतमंदों को देना अत्यंत पुण्यकारी होता है।

6. फल और मिष्ठान्न

गुरु को फल, मिठाई, पंचामृत, और नैवेद्य अर्पण करना एवं उनका वितरण करना शुभ माना गया है। इससे पितृ दोषों की शांति और कुल में संतति सुख मिलता है।

7. दक्षिणा (द्रव्य/धन का दान)

गुरु को दक्षिणा देना शास्त्रसम्मत परंपरा है। यह गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। शास्त्रों में लिखा है कि “दक्षिणा विहीन यज्ञ अधूरा है,” इसलिए यथाशक्ति द्रव्य दान भी करना चाहिए।

विशेष संकेत:

  • दान देने से पहले गुरु का आशीर्वाद और ध्यान करें।

  • दान हमेशा श्रद्धा और नि:स्वार्थ भाव से करें।

  • यदि कोई गुरु नहीं है, तो ईश्वर, माता-पिता या जीवन के किसी भी प्रेरणास्रोत को मन में गुरु मानकर यह दान कर सकते हैं।

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