State Sponsored Repression : भुवनेश्वर| एफएम कॉलेज की छात्रा सौम्यश्री बिसी की रहस्यमयी मौत के बाद उठे राजनीतिक तूफान ने ओडिशा की सियासत को गरमा दिया है। राजधानी भुवनेश्वर के लोअर पीएमजी चौक पर बीजू जनता दल (बीजद) के ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन के दौरान हालात उस वक्त तनावपूर्ण हो गए जब प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ते हुए लोक सेवा भवन की ओर बढ़ने लगे। बीजद का आरोप है कि पुलिस ने प्रदर्शन को कुचलने के लिए रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, जिसे वह “राज्य प्रायोजित दमन” बता रही है। लेकिन पुलिस प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
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पुलिस ने कहा – न रबर बुलेट, न लाठीचार्ज
भुवनेश्वर-कटक के पुलिस आयुक्त एस. देव दत्ता सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा बैरिकेड्स तोड़े जाने के बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए केवल वाटर कैनन (पानी की बौछारें) और पांच आंसू गैस के गोले दागे गए।
उन्होंने स्पष्ट किया –
“रबर की गोलियों का कोई इस्तेमाल नहीं किया गया। घटनास्थल की ड्रोन और एआई कैमरों से लगातार निगरानी की जा रही थी।”
भीड़ नियंत्रण या सत्ता की क्रूरता?
बीजद के नेता प्रणब प्रकाश दास और प्रीतिरंजन घडाई ने दावा किया कि उन्हें और कई अन्य कार्यकर्ताओं को चोटें आई हैं। पुलिस की मानें तो प्रदर्शन की पूर्व अनुमति ली गई थी, लेकिन बाद में सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया।
घटनास्थल से 100 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि सात पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
सौम्यश्री की मौत बनी सियासी चिनगारी
गौरतलब है कि बीजद की यह पूरी आक्रोश रैली एफएम कॉलेज की छात्रा सौम्यश्री बिसी की कथित आत्महत्या को लेकर थी। पार्टी का आरोप है कि छात्रा को कॉलेज प्रशासन की उदासीनता और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उसने जान दे दी।
बीजद इस मामले में न्यायिक जांच और प्रशासनिक जवाबदेही की मांग कर रही है।
उपसंहार
सवाल अब भी अनुत्तरित हैं –
क्या वाकई रबर की गोलियां चलीं? या राजनीतिक प्रतिशोध की आड़ में एक और बयानवीरता हो रही है?
जांच और तथ्य सामने आने बाकी हैं, लेकिन इतना तय है कि सौम्यश्री की मौत के बाद ओडिशा की सड़कों पर लोकतंत्र के ज़ख्म गहरे हो चुके हैं।