Simlipal Tiger Reserve : ओडिशा/बारीपदा। ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिज़र्व (STR) और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में बाघ की खाल की तस्करी से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इस मामले में एक सरकारी स्कूल शिक्षक समेत कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जब्त की गई तीन बाघों की खाल छत्तीसगढ़ से लाई गई थीं, जिन्हें कथित रूप से पूजा-पाठ और तंत्र क्रियाओं में उपयोग किया जा रहा था।
चार जिलों में फैली कार्रवाई
जांच और गिरफ्तारी की यह कार्रवाई कपटीपदा, बड़साही, दुकुराह और खुंटा वन क्षेत्रों में की गई। इन इलाकों में वन विभाग ने एक के बाद एक कई ठिकानों पर छापा मारा और वन्यजीव तस्करी के इस रैकेट को बेनकाब किया।
जिन्हें पूजा का प्रतीक मानते थे आरोपी
गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि बाघ की खाल को दुर्लभ और समृद्धि लाने वाली वस्तु माना जाता है, और इसीलिए इन्हें पूजा और तंत्र-विद्या में प्रयोग के लिए छत्तीसगढ़ से मंगाया गया था। यह मानसिकता सामाजिक अंधविश्वास और भ्रांतियों को दर्शाती है, जो अब वन्यजीव संरक्षण के सामने बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
गिरफ्तार आरोपी
- रायसेन तपेयार
- मनरंजन टिपिरिया
- गुरुप्रसाद पात्र
- सेरमासिरी सोरेन
- चंपई मुर्मू
- सुनाराम हेम्ब्रम
- अमर कुमार सिंह (सरकारी शिक्षक)
इनमें से अमर कुमार सिंह की गिरफ्तारी ने वन्यजीव अपराधों में शिक्षित वर्ग की संलिप्तता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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वन विभाग ने जताई और गिरफ्तारियों की संभावना
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के मुताबिक, यह एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है और अन्य राज्यों तक इसकी पहुंच के संकेत भी मिले हैं। फिलहाल छत्तीसगढ़ कनेक्शन की भी गहन जांच की जा रही है। वन विभाग ने कहा है कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं।
यह क्यों है चिंताजनक?
- बाघ जैसे लुप्तप्राय वन्यजीवों के अंगों की तस्करी से न सिर्फ जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण कानूनों का गंभीर उल्लंघन भी है।
- इसमें सरकारी कर्मचारी की संलिप्तता यह दर्शाती है कि कानून के पहरेदार भी अपराध में शामिल हो सकते हैं, जिससे जनहित और कानून व्यवस्था दोनों को खतरा है।