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19 Apr 2025, Sat

बागी पार्षद बना नेता प्रतिपक्ष मचा बवाल, राजीव भवन में हंगामा और इस्तीफों की बौछार

बागी पार्षद बना नेता प्रतिपक्ष मचा बवाल, राजीव भवन में हंगामा और इस्तीफों की बौछार

रायपुर, 17 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अंदरूनी कलह एक बार फिर सतह पर आ गई है। रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी में जबरदस्त बवाल मच गया है। कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पार्षद आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से पार्टी के भीतर न केवल नाराजगी पनपी, बल्कि राजीव भवन में जमकर हंगामा भी हुआ।

वार्ड क्रमांक 1 से कांग्रेस पार्षद संदीप साहू अपने समर्थकों के साथ राजीव भवन पहुंचे और प्रदेश प्रभारी महामंत्री मलकित सिंह गैदू के कार्यालय में जोरदार विरोध जताया। संदीप साहू का दावा है कि उन्हें पहले नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया था और इस संबंध में बाकायदा लेटर भी शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा जारी किया गया था।

संदीप साहू का कहना है कि उनकी नियुक्ति प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पर्यवेक्षक प्रतिमा चंद्राकर की मौजूदगी में सभी विधायकों व पार्षदों की राय से हुई थी, और इसकी सूचना महापौर एवं नगर निगम आयुक्त को भी दी गई थी। लेकिन बुधवार देर रात कांग्रेस ने अचानक नई सूची जारी कर दी, जिसमें आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष और जयश्री नायक को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।

पार्टी के इस फैसले से नाराज होकर शहर जिला कांग्रेस के संयुक्त महामंत्री लीलाधर साहू ने तत्काल इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि “पहली बार कांग्रेस ने साहू समाज के व्यक्ति को नेता प्रतिपक्ष बनाया था, लेकिन उसे हटाकर पार्टी विरोधी व्यक्ति को यह पद देना न केवल कार्यकर्ताओं का, बल्कि समाज का अपमान है।” लीलाधर साहू ने चेतावनी दी कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो कांग्रेस कार्यकर्ता और साहू समाज मिलकर बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद से ही कांग्रेस भीतर से कमजोर होती दिख रही है। संगठन में एकजुटता की अपीलें केवल मंचों तक सीमित रह गई हैं, जबकि जमीनी स्तर पर गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी है। रायपुर नगर निगम की यह घटना उसी अंतर्विरोध की एक और मिसाल है।

बागी उम्मीदवार को संगठन में सर्वोच्च विपक्षी पद देना, जबकि निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी करना – यह कांग्रेस के भीतर चल रहे सियासी समीकरणों और शक्ति संतुलन को उजागर करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी आलाकमान इस फैसले पर पुनर्विचार करता है या गुटीय खींचतान यूं ही और गहराती जाएगी।

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