गाजा | भारत में पारले-G बिस्कुट हमेशा से एक आम आदमी की चाय का साथी रहा है – 5 रुपए में मिलने वाला, भूख मिटाने वाला, भावनाओं से जुड़ा हुआ बिस्कुट। लेकिन जब यही बिस्कुट युद्ध से तबाह फिलिस्तीन की गाज़ा पट्टी में पहुंचा, तो इसकी किस्मत ही नहीं, पहचान भी बदल गई। वहां यह अब ‘लग्ज़री आइटम’ है, जिसकी कीमत 2300 रुपए तक जा पहुंची है।
जब स्वाद नहीं, ज़िंदगी की जरूरत बन गया बिस्कुट
गाज़ा में जारी इस्राइल-फिलिस्तीन युद्ध ने सिर्फ इमारतों को नहीं तोड़ा, बल्कि वहां की आर्थिक और सामाजिक संरचना को भी जमींदोज कर दिया है। खाने-पीने की चीजें दुर्लभ हो गई हैं, राशन की दुकानों में सन्नाटा है, और आम लोगों की थाली से भोजन ग़ायब हो चुका है। ऐसे में भारत से आयात होकर पहुंचा पारले-G बिस्कुट वहां लोगों के लिए सिर्फ एक स्नैक नहीं, बल्कि एक संजीवनी बन गया है।
5 रुपए का बिस्कुट अब 2300 में बिक रहा
स्थानीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, युद्ध के हालातों में गाज़ा पट्टी में काला बाज़ारी चरम पर है। एक पारले-G पैकेट, जिसकी भारत में कीमत महज़ 5 रुपये है, वह गाज़ा में 10 शेकेल यानी भारतीय मुद्रा में लगभग 2300 रुपये में बिक रहा है। कारण साफ है – खाने की भारी किल्लत, आपूर्ति बंद, और युद्ध के बीच दवाओं से ज्यादा ज़रूरत खाने की है।
बचपन की याद, अब जंग में जंग जीतने का साधन
भारत में पारले-G का नाम सुनते ही बचपन, स्कूल की छुट्टियां और चाय के साथ उसका मीठा स्वाद याद आता है। लेकिन गाज़ा में यह स्वाद अब भूख से लड़ने का हथियार बन गया है। वहां का बच्चा हो या बूढ़ा, पारले-G के एक पैकेट को ऐसे संभालकर खाता है जैसे वह कोई ख़ास खजाना हो।
डॉक्टरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बिस्कुट में कार्बोहाइड्रेट और शुगर होता है, जो कमज़ोर शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। ऐसे में जब दूध, ब्रेड या चावल जैसे विकल्प नहीं बचे, तो पारले-G ही वहां की कई जिंदगियों को जिंदा रखे हुए है।
युद्ध की सबसे बड़ी कीमत – आम आदमी की भूख
गाज़ा की इस कहानी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि युद्ध में सबसे ज़्यादा नुकसान आम लोगों का होता है। बम गिरते हैं सत्ता की लड़ाई में, लेकिन भूखा पेट भरने की लड़ाई आम इंसान लड़ता है।
जब एक बिस्कुट का दाम 5 से 2300 हो जाए, तो समझना चाहिए कि हालात सिर्फ आर्थिक नहीं, मानवीय संकट की ओर बढ़ चुके हैं।
एक पैकेट, हज़ारों कहानियां
पारले-G का एक छोटा सा पैकेट भारत में तो लाखों घरों में यूं ही रखा रहता है, लेकिन गाज़ा में यह अब एक बहुमूल्य वस्तु है – एक ऐसा बिस्कुट जो भूख को थोड़ा कम करता है, और उम्मीद को थोड़ा बढ़ाता है।