बुरहानपुर। Muharram 2025 : मोहर्रम के अवसर पर बुरहानपुर में हर वर्ष की तरह इस बार भी शिया मुस्लिम समुदाय द्वारा कर्बला के शहीदों की याद में मातमी जुलूस निकाला गया। यह जुलूस सिंधीपुरा स्थित इमामबाड़ा से शुरू होकर शहर के प्रमुख चौराहों से होता हुआ दोबारा इमामबाड़ा पहुंचकर संपन्न हुआ। इस दौरान शिया मुस्लिम समाज के हजारों लोग—including युवा, बुजुर्ग और बच्चे—दुख और श्रद्धा से सराबोर नजर आए।
Muharram 2025 : इस मातमी जुलूस में इस बार एक विशेष दृश्य देखने को मिला—देश की एकता और भाईचारे का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी जुलूस में लहराता नजर आया। जुलूस के रास्ते में शिया धर्मगुरुओं द्वारा कर्बला की घटना और हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी पर आधारित भावुक प्रवचन दिए गए।
धर्मगुरुओं ने बताया कि हजरत हुसैन ने यजीद जैसे अत्याचारी के सामने झुकने के बजाय सत्य, धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार की कुर्बानी दी। यह सुनकर जुलूस में शामिल कई लोग भावुक हो गए और मातम करते हुए खुद को ज़ख्मी कर लिया। कई लोगों के शरीर से खून निकलते देखा गया, जिससे आसपास मौजूद सैकड़ों लोग भी भावनात्मक रूप से जुड़ गए।
धर्मगुरु सैय्यद रज़ा आबेदी ने कहा, “हजरत इमाम हुसैन ने उस समय लड़ाई न लड़ी होती तो आज इंसानियत का नामोनिशान मिट गया होता। मोहर्रम का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है — कि अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना और पीड़ितों के साथ खड़ा रहना हर इंसान का धर्म है।”