Justice Yashwant Varma: मार्च महीने में अपने सरकारी आवास के स्टोर रूम से भारी मात्रा में अधजले नकदी मिलने के बाद विवादों में आए जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें अब और गहराती नजर आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन दिवसीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि स्टोर रूम पर पूरी तरह से जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का नियंत्रण था और वहां किसी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं थी। इस आधार पर समिति ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की है।
Justice Yashwant Varma: रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच पैनल ने इस मामले में कुल 55 गवाहों से पूछताछ की है और जस्टिस वर्मा का बयान भी दर्ज किया गया। जांच के बाद पैनल ने गुरुवार सुबह 64 पन्नों की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की।
Justice Yashwant Varma: रिपोर्ट में दो अहम बिंदु प्रमुखता से सामने आए हैं। पहला, वह स्टोर रूम जहां से अधजले नोट बरामद हुए थे, वह जस्टिस वर्मा के 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित आवासीय परिसर का हिस्सा था और उनके अधिकार में था। दूसरा, उस कमरे में केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों की पहुंच थी और अन्य किसी को बिना अनुमति प्रवेश की इजाजत नहीं थी।
Justice Yashwant Varma: इन तथ्यों के आधार पर जांच समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। उल्लेखनीय है कि मार्च में उनके आवास में आग लगने की घटना के बाद वहां से अधजले नोटों के बंडल मिले थे। इसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया था, हालांकि अब तक उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।