भिलाई। Hareli 2025 : छत्तीसगढ़ की माटी की महक, लोक परंपराओं की गूंज और प्रकृति संरक्षण का संदेश लेकर आज भिलाई की सड़कों पर छत्तीसगढ़िया अस्मिता की एक भव्य झलक देखने को मिलेगी। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के बैनर तले आज रविवार को ‘हरेली रैली’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें राज्य की पारंपरिक कलाओं और सांस्कृतिक धरोहरों का भव्य प्रदर्शन होगा।
Hareli 2025 : रैली में बस्तर की मांदरियों से लेकर राऊत नाचा और डंडा नृत्य तक, छत्तीसगढ़ की लगभग हर प्रमुख लोककलाएं रंग-बिरंगे स्वरूप में प्रस्तुत होंगी। गेड़ी, पंथी, करमा, सुवा और अखाड़ा जैसे नृत्य रूप रैली को जीवंत और दर्शनीय बनाएंगे। यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति के सम्मान और संरक्षण का आंदोलन भी है।
भाषा के सम्मान की झांकी बनेगी आकर्षण
इस बार की रैली का एक बड़ा संदेश है – छत्तीसगढ़ी भाषा को पढ़ाई, लेखन और कार्यालयीन कार्यों में लागू करने का आग्रह। इस विचार को प्रदर्शित करती हुई चलित झांकी रैली का प्रमुख आकर्षण होगी, जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी और महापुरुषों की झांकियां भी दिखाई देंगी। आयोजकों के अनुसार, यह रैली हरेली पर्व को लोकजीवन से जोड़ने के साथ-साथ भाषा और सांस्कृतिक अधिकारों की मांग को भी स्वर देगी।
सांस्कृतिक चेतना का सजीव उत्सव
हरेली, जो खेती, प्रकृति और स्वास्थ्य का प्रतीक पर्व है, उसके बहाने छत्तीसगढ़ की लोक अस्मिता, सांस्कृतिक विविधता और भाषाई पहचान को एक मंच पर लाने का प्रयास इस रैली के माध्यम से किया जा रहा है। अब देखना होगा कि यह सांस्कृतिक प्रदर्शन सिर्फ परंपरा का उत्सव बनकर रह जाता है या भाषाई और सांस्कृतिक अधिकारों की एक नई जनचेतना की शुरुआत करता है।