रायपुर | Devshayani Ekadashi 2025 : 06 जुलाई 2025। हिंदू धर्म में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के रूप में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस वर्ष यह तिथि रविवार, 6 जुलाई 2025 को पड़ी है और देशभर में भक्तगण आज श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत और पूजन कर रहे हैं। यह दिन भगवान विष्णु की शयन यात्रा के आरंभ का प्रतीक है, जिसमें वे चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाती है, जो धार्मिक दृष्टि से तप, संयम और भक्ति का काल माना जाता है।
Devshayani Ekadashi 2025 : धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी भक्त इस दिन विधिपूर्वक उपवास और पूजन करते हैं, उन्हें धन, वैभव, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे “हरिशयनी” या “पद्मा एकादशी” भी कहा जाता है। चार मासों तक देवता निद्रा में रहते हैं, इसलिए इस काल में विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
देवशयनी एकादशी व्रत की विधि के अनुसार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर पीला वस्त्र अर्पित कर, तुलसी पत्र, पीले पुष्प, पंचामृत और दूध से अभिषेक किया जाता है। दिनभर उपवास रखते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप किया जाता है और शाम को आरती कर कथा सुनी जाती है।
विशेष बात यह है कि आज से ही मांगलिक कार्य रुक जाते हैं और भगवान विष्णु के उठने तक यानी देवउठनी एकादशी (25 नवंबर 2025) तक धार्मिक साधनाओं का विशेष महत्व होता है। मंदिरों में विशेष आयोजन, भजन-कीर्तन और श्रीहरि के नाम की धुनें गूंज रही हैं। कई भक्त सामूहिक व्रत कथा में भी भाग ले रहे हैं।