BIG NEWS : उज्जैन, मध्य प्रदेश। झलारिया पीर गांव में एक मंदिर के पुजारी और उनके परिवार को गांव से सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने का मामला सामने आया है। गांव के नागराज मंदिर परिसर में सार्वजनिक रूप से माइक पर एक फरमान पढ़ा गया, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि कोई भी गांववासी पुजारी परिवार से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखेगा – न तो कामकाज के स्तर पर और न ही सामाजिक कार्यक्रमों में।
इस पंचायतनुमा बैठक के दौरान ग्रामीणों ने हाथ उठाकर इस सामाजिक बहिष्कार का समर्थन भी किया। इसका वीडियो सामने आने के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया। पुजारी परिवार ने कलेक्टर से शिकायत की है, जिस पर प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।
मामला क्या है?
झलारिया पीर गांव के देव धर्मराज मंदिर की देखरेख वर्षों से पुजारी पूनमचंद चौधरी का परिवार करता आ रहा है। मंदिर से लगी चार बीघा ज़मीन पर वे खेती कर जीविकोपार्जन करते हैं। लेकिन हाल ही में मंदिर की जमीन पर कब्जे की नीयत से कुछ ग्रामीणों ने मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर 6 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा किया और मंदिर को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की योजना बनाई। जब पुजारी परिवार ने इसका विरोध किया, तो उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग करने की साजिश रच दी गई।
क्या था पंचायत का फरमान?
14 जुलाई को गांव के नागराज मंदिर में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें कथित रूप से सर्व समाज की मौजूदगी में यह फरमान सुनाया गया:
- पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
- कोई ब्राह्मण उनके यहां पूजा-पाठ नहीं करेगा।
- नाई दाढ़ी-बाल नहीं काटेगा।
- कोई मजदूर खेत या मकान पर काम नहीं करेगा।
- कोई सफाईकर्मी सफाई नहीं करेगा, भले ही जानवर मर जाए।
- शादी-ब्याह, पर्व-त्योहारों में न बुलाया जाएगा, न वे शामिल हो सकेंगे।
- गांव के स्कूलों से उनके बच्चों को निष्कासित किया जाएगा।
- फरमान का उल्लंघन करने पर ₹51,000 का जुर्माना लगेगा।
स्कूल से निकाल दिए गए पुजारी के बच्चे
फरमान के अगले ही दिन पुजारी के तीनों बच्चों – संध्या (कक्षा 8वीं), सतीश (कक्षा 5वीं) और विराट (कक्षा 3वीं) को स्कूल से निकाल दिया गया। प्रिंसिपल ने साफ तौर पर कह दिया कि परिवार के खिलाफ विवाद के चलते बच्चों को स्कूल में नहीं पढ़ाया जाएगा।
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पंचायत ने क्या कहा?
वीडियो में फरमान पढ़ते दिखे पूर्व पंचायत मंत्री गोकुल सिंह देवड़ा ने कहा कि मंदिर सार्वजनिक है और पुजारी को कई बार समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वे कोर्ट चले गए। पंचायत में बुलाया गया तो वह नहीं आए। इसलिए बैठक में यह फैसला लिया गया।
प्रशासन का रुख
पुजारी पूनमचंद चौधरी ने उज्जैन कलेक्टर को ज्ञापन देकर बताया कि उनका परिवार सामाजिक बहिष्कार का शिकार है। बच्चों की पढ़ाई रोक दी गई है, मजदूर काम नहीं कर रहे और किसी सामाजिक कार्यक्रम में उन्हें शामिल नहीं किया जा रहा। इस पर कलेक्टर ने तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं।