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19 Apr 2025, Sat

तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म मामला: रेड क्लिफ स्कूल की मान्यता रद्द, कलेक्टर का बड़ा फैसला

तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म मामला रेड क्लिफ स्कूल की मान्यता रद्द, कलेक्टर का बड़ा फैसला

भोपाल, 18 अप्रैल 2025: भोपाल के चर्चित रेड क्लिफ स्कूल में तीन वर्षीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म मामले में प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी किए, जिसके तहत अब स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद स्कूल पर ताला लग गया है। प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि स्कूल संचालन पर पूर्ण रोक लगा दी गई है और आगामी शैक्षणिक सत्र से स्कूल किसी भी प्रकार से संचालित नहीं किया जाएगा।

स्कूल बंद होने के कारण वहां पढ़ रहे 324 छात्रों को अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। इनमें से 54 बच्चे आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत थे, जिन्हें नजदीकी सरकारी स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए समन्वय की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। पिछले वर्ष स्कूल में एक शिक्षक द्वारा तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई थी, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था। घटना की शिकायत मिलते ही शिक्षा विभाग ने जांच टीम गठित की थी। रिपोर्ट में स्कूल प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई।

इसके बाद सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए स्कूल के प्रबंधन को अपने अधीन ले लिया और प्रशासक की नियुक्ति की गई। मध्यप्रदेश में यह पहला मामला था जब किसी निजी स्कूल का संचालन सरकार ने अपने हाथ में लिया हो। डीपीसी ओपी शर्मा के अनुसार, कमला नगर क्षेत्र में स्थित इस स्कूल की गतिविधियों की जांच के लिए दो अलग-अलग टीमें गठित की गई थीं। दोनों रिपोर्टों में स्कूल प्रशासन की ओर से गंभीर सुरक्षा चूक और प्रबंधन की लापरवाही पाई गई। इसके आधार पर कलेक्टर ने स्कूल की मान्यता के नवीनीकरण प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

प्रशासन की इस कार्रवाई को बाल सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा माना जा रहा है। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि बच्चों की सुरक्षा के मामलों में किसी भी प्रकार की चूक पर इसी तरह की सख्त कार्रवाई की जाएगी। भोपाल में हुई यह कार्रवाई ना केवल एक आरोपी को न्याय के कठघरे में लाने की प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि यह संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा से किसी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है।

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